Monday, March 25, 2024

रंग दीनो अपने ही रंग | HINDI KAVITA


 


" सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग

दूध दही माखन मोरा खायो , और पिलाई मोहे भांग

अब मोहे ना कोई सुधबुध , ना कोई रयो अब मोरे संग

सगरा जगत आये रहा , मोपे रंग डारन को

अब तू ही बता इ कैसे होई , क्योंकि

जोन होए श्याम रंग , ओपे चढ़े कौन रंग

और ओके लिये का सगरी दुनिया कौ धन

और का सगरी दुनिया को संग


सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग "

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