" सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग
दूध दही माखन मोरा खायो , और पिलाई मोहे भांग
अब मोहे ना कोई सुधबुध , ना कोई रयो अब मोरे संग
सगरा जगत आये रहा , मोपे रंग डारन को
अब तू ही बता इ कैसे होई , क्योंकि
जोन होए श्याम रंग , ओपे चढ़े कौन रंग
और ओके लिये का सगरी दुनिया कौ धन
और का सगरी दुनिया को संग
सखी री , भोर भये कान्हा मोहे , रंग दीनो अपने ही रंग "
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