Friday, March 15, 2024

पत्ते | HINDI KAVITA


 

" पत्ते आज भी वहीँ बिखरे पड़े हैं

जिस राह पर कल हम साथ चले थे 

पत्ते पूछ रहे , क्यों आये हो तुम आज अकेले ?

मैं कैसे कहूँ  , अलग अलग राहों पे हम निकल चलें हैं 


पत्ते आज भी वहीँ बिखरे पड़े हैं

जिस राह पर कल हम साथ चले थे "

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