Friday, March 29, 2024

aapka rang | hindi kavita



 हज़ारों रंग बिखरे हुए हैं दुनिया में 

कोई रंग ऐसा कहाँ जो उनके रंग को व्यक्त करे 

उन आँखों में मदहोशी भी है और इन्द्रधनुषी सपने भी 

कोई कवि ऐसा कहाँ जो उनकी ख़ूबसूरती  को अभिव्यक्त करे।

( Poet - Manoj Gupta )

#man0707

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