हज़ारों रंग बिखरे हुए हैं दुनिया में
कोई रंग ऐसा कहाँ जो उनके रंग को व्यक्त करे
उन आँखों में मदहोशी भी है और इन्द्रधनुषी सपने भी
कोई कवि ऐसा कहाँ जो उनकी ख़ूबसूरती को अभिव्यक्त करे।
( Poet - Manoj Gupta )
#man0707
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