Saturday, September 2, 2017

तेरा नाम रेत पे

ख़ुद ना मिटा सका था तेरा नाम
रेत पे यूहीं लिखा छोड़ आया था

अपना दिल भी वही कही यूँही
तनहा छोड़ आया था

समंदर की लहरें अब
जो हिम्मत हो....सो करे

मैं तो पूरी कायनात को
तेरे नाम का रखवाला जोड़ आया था

ख़ुद ना मिटा सका था तेरा नाम
रेत पे यूहीं लिखा छोड़ आया था। 


जो मैं हूँ सच में

एक वो जो दुनिया समझती है के
मैं हूँ

और एक वो
जो मैं हूँ सच में

किसको जिलाऊँ  (जीवित रखूँ)
किसको मारूँ

इसी सोच में रोज़
तिल तिल मरा जा रहा हूँ मैं


मैं एक पगला सा बादल हूँ

मैं एक पगला सा बादल हूँ
फ़क़त एक आस में हूँ मैं
मिलोगी तो गले लगकर
ख़ूब बरसूँगा किसी रोज़। 


ख़्वाब एक नन्हा

तुम ख़ामोश...
मैं सुन रहा
ख़्वाब एक नन्हा
बुन रहा
मैं हूँ.. तुम भी हो
फूलों में रहो
काँटे मैं चुन रहा

-मअन 🌙🌹😊

नज़र भर के भी ना देखा मुझको

ताउम्र , दुनिया रहे दीवानी मेरी
तो क्या
जब तूने कभी नज़र भर के भी ना देखा मुझको

इकतरफ़ा ही सही

इकतरफ़ा ही सही
इश्क़ तो इश्क़..है ना
इसमें शायद तू ना हो
पर मैं तो बेहिसाब हूँ ना

तू अपनी जान
मुझको बस मेरा पता
इस जनम के लिए
बेहद..
बेपनाह...
बेसाख़्ता..
भरपूर, ये दर्द है ना

इकतरफ़ा ही सही
इश्क़ तो इश्क़..है ना
इसमें शायद तू ना हो
पर मैं तो बेहिसाब हूँ ना।

(अभी मूवी " ए दिल है मुश्किल" देखी
दिल को छू गयी
और ये शेर दिल से निकला)

राम जाने किस खुदा की क़लम में

इसी आस में...
सजदा कर लेता हूँ
हर मंदिर में ...
हर मस्जिद में
राम जाने किस खुदा की क़लम में
तेरा अखत्यार बँधा पायें

-मअन 🌙🌹

मौत-सी नींद में भी पूछोगे तो

जाने तुम किसकी बात करते हो
हम तो ऐसे ...बावफ़ा है
मौत-सी नींद में भी पूछोगे तो
प्यार तुमसे ..
सिर्फ़ तुमसे ...
बस तुम्हीं से..

-मअन 🌙🌹😊

और चल.......

वो प्यार...
वो लम्हे
तुझे याद कर रहे पल पल
तू ही खो गया है कहीं
पैसा..
सफलता..
और चल
और चल.......

-मअन 🌙🌹

उसने अब आह सुनी

एक ज़माना बीत गया
जलते जलते ...
अब जाके उसने आह सुनी 
जब मैंने कहा..."अलविदा"
चलते चलते
बहुत कुछ बाकी रह गया 
जो कहना था जो सुनना था
कुछ तो मेरी दीवानगी और उस पर तुर्रा की आवारा तबियत 
कुछ उसका भी दम्भ-इ-खूबसूरती और कुछ बेपरवाह तबियत 


तुम कहती हो की..

तुम कहती हो की...
अब उम्र नहीं
मैं कहता हूँ...
इसकी मुझे फ़िक्र नहीं
उस जन्नत में भी नहीं
रहना मुझको..जिसमें
तेरी ख़ुशबू...
तेरा वजूद...
तेरा ज़िक्र नहीं

-मअन 🌙🌹

Thursday, May 18, 2017

पल पल लड़ता हूँ ख़ुद से मगर

पल पल लड़ता हूँ ख़ुद से मगर 
हार जाता हूँ

सोचता हूँ कुछ बेरुख़ी मैं भी ओढ़ूँ
मेरी बात मनवाने की जानिब पर...
कर नहीं पाता हूँ

तुम ना मानते हो ना हठ छोड़ते हो
उलटा मेरा ही दर्द बढ़ता जाता है


कभी कभी...तुम भी.. चाहे झूठा ही सही
कुछ तो....कभी तो..चाहे थोड़ा ही सही


इतना तो ध्यान करो ज़ाना मेरी
सदियाँ से जल रहा है दीवाना तेरा...निरंतर...

Tuesday, May 16, 2017

तेरी छुअन.... पुनर्जीवन चाहता हूँ

ना कोई वादा 
ना क़सम चाहता हूँ
ताउम्र तुम्हें चाहते रहना..बस 
सनम चाहता हूँ
तुमसे बात हो जाती है
लगता है जी रहा हूँ
वरना तो बेजान सा पत्थर हूँ
तेरी छुअन.... पुनर्जीवन चाहता हूँ

बेटी ,तुझे पंछी बनना है (kavita)


पंछी बनना है तुझे
आकाश में स्वच्छंद उड़ना है

किसी और की नहीं
बस अपने मन की सुनना है

माडर्न तो बनना है मगर 
माडर्न बुराइयों से बचना है


केवल शरीर और मन से ही नहीं
आत्मा में भी सुंदर बनना है


अनगिनत रुकावटें होंगी राह तेरी 
पर तुझे सत्य राह ही चुनना है 

तू पापा की प्यारी वाली बेटी है
तो बस आगे ही आगे बढ़ना है


पंछी बनना है तुझे
आकाश में स्वच्छंद उड़ना है


किसी और की नहीं
बस अपने मन की सुनना है।


#बेटी #beti
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Wednesday, May 10, 2017

एक अंधेरे कोने में पड़े...

एक अंधेरे कोने में पड़े
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने
कुछ तो समझो
के 25 साल की तपस्या है मेरी
निस्वार्थ प्यार किया...
कोई पाप नहीं किया मैंने
तेरा ख़ूबसूरत जिस्म जो सबकी..
आरज़ू होगा शायद
रूह को जाना..जिस्म तो कभी ठीक से ..देखा नहीं मैंने
तेरी ख़ुशबू महकाए
मेरे जीवन-रेगिस्तान को
यही एक छुईमुई सी उम्मीद
बस है उगाई मैंने...
एक अंधेरे कोने में पड़े
हर पल ये गुहार... लगाई मैंने
के साँस रूकती है मेरी
क्यूँ ये सज़ा पायी मैंने...
-मन 🌙🌹

Monday, May 1, 2017

फ़क़त एक गुज़ारिश है मेरी..

फ़क़त एक गुज़ारिश है मेरी.. ज़ानेजाना तुमसे
जब तुम मिलोगी तब
चेहरे की जर्द लकीरों को नहीं
इस ख़ूबसूरत दिल को देख लेना
चेहरे पे कुछ झाँइयाँ तेरे इंतज़ार की
तो कुछ ग़मे-रोज़गार की है
रूह को देख लेना
इस बेडौल शरीर को नहीं
कुछ क़ुसूर मेरी बेपरवाही का सही
तो कुछ ...तेरे इश्क़ में गुज़रते अनगिनत सालों का असर भी तो है
खिचड़ी बालों को तो ज़रूर से इग्नोर कर देना तुम
कुछ उम्र के है..
कुछ बेंइंतिहा इश्क़ के..
तो कुछ तुझे याद करते करते फ़ना हुए जाते है ..😊
-मअन 🌙🌹

Monday, April 17, 2017

तू "अभय" है

तू "अभय" है
बस इतना ही समझ 
जो तेरा है

तुझे ख़ुद ढूँढता आएगा
तू बस निश्चल,निर्मल,निर्भय बने रहना
आस और कर्मण्यता के बोहोत पास
और पाप से दूर ..
बोहोत दूर..

-मन

सूरज जैसा धरती को करता है वैसे वाला प्यार ..

सूरज जैसा धरती को करता है
वैसे वाला प्यार
ना कोई आशा..
ना अपेक्षा..
ना ही इंतज़ार..
वैसे वाला प्यार
करोड़ों सालो से हर पल..हर क्षण जलते रहना
और धरती को ऊष्मा..प्रकाश..जीवन देते रहना
वैसे वाला प्यार
जानते हुए की धरती निष्ठुर है..
और निर्मम भी...
और बेपरवाह
फिर भी अपनी ही धुन में मग्न..प्रेम-मय रहना
वैसे वाला प्यार
सूरज जैसा धरती को करता है
वैसे वाला प्यार
ना कोई आशा..ना अपेक्षा..ना ही इंतज़ार..
वैसे वाला प्यार।
-मन 🌙🌹
(ये कविता मेरे दोस्त अरुण से हुयी बातचीत से उपजी है। अरुण को साधुवाद 😊🙏💐)

Wednesday, February 22, 2017

हर गुफ़्तगू के शुरू..

सब जान के अनजान बनी रहती हैं 

परेशान करती हैं
हर गुफ़्तगू के शुरू..
मोहतरमा सवाल करतीं हैं 
प्यार करते हो? .मगर क्यूँ??
...ये ख़याल करती हैं 

कैसे समझाऊँ उन्हें...मेरे प्यार के हैं
जामिन कुल 3 बेदर्द गवाह
एक वो ख़ुद..बे-परवाह
एक मैं.. बेबस, बेहया 
और एक अदद मेरा खुदा 

सब जान के अनजान बनी रहती हैं 
परेशान करती हैं
हर गुफ़्तगू के शुरू..
मोहतरमा सवाल करतीं हैं 
प्यार करते हो? .मगर क्यूँ??
...ये ख़याल करती है।