Wednesday, December 31, 2014

एक मुद्दत से..... तेरी मदहोश जुल्फों को

एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा

आप कुछ भी कीजिये
मगर इन्हे बांधा ना कीजिये
मै भी बंध जाता हूँ
मेरा खैरख्वाह  भी
और उसके साथ
सारी कायनात भी

एक मुद्दत से.....
तेरी मदहोश जुल्फों को
ना लहराते देखा
जब भी देखा इन्हे....बस दूर से
गुमसुम..... मुस्कुराते देखा।



Monday, December 15, 2014

फ़क़त एक इश्क़ ..

फ़क़त एक इश्क़
और जिंदगी तमाम
सभल जा दीवाने
ज़माने में दस्तूर समझदार होने का
चल पड़ा कबसे.
--मन--

तूने ही आह ली होगी (kavita)

इस सुबह मे ...
कुछ धुंध सी जो है
जरूर तूने ही आह ली होगी
अभी अभी...
--मन-

मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम

कल रात....
मेरे दिल-ए-हाल के मानिंद था मेरे शहर का मौसम
आँखों में कुछ धुंद सी थी
सीने में यादो के मचलते तूफ़ान
हर अंग से बरसते प्यार सा वो सर्द पानी
और मन में नई बिजलियों सी वो आतुर जवानी
अब तो आजा ...
के आज मौसम भी है मौका भी है दस्तूर भी है
फिर ना कहना के हमने बुलाया नहीं तुमको रानी.
--मन--