प्रेम पर अब मैं क्या लिखूं
प्रेम पर सब कुछ लिखा जा चुका
अठारवीं सदी से लेकर आज तक
करोड़ों सतहों को कुरेदा , उकेरा जा चुका
तेरा .. मेरा .. उनका , हम सब का प्रेम है अपना अपना
असल में प्रेम कुछ नहीं , बस है एक सुन्दर सलोना सपना
पवित्र ह्रदय के मानव बनें हम , चाहिये बस इतना ही
जैसा सलूक हम खुद से करें , दूसरों से भी वैसा ही
प्रेम पर अब मैं क्या लिखूं
प्रेम पर सब कुछ लिखा जा चुका
अठारवीं सदी से लेकर आज तक
करोड़ों सतहों को कुरेदा , उकेरा जा चुका .
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