Saturday, February 3, 2024

JUNGLE CAT | HINDI KAHANI | PART - 11


 नेहा , महीनों के बाद आज ब्यूटी पार्लर गयी थी 

वहाँ उसने " फर्स्ट नाईट स्पा पैकेज " लिया और ग्रूम होकर देर शाम तक होटल वापिस लौटी 

रात के नौ बजने वाले थे और वो तैयार होकर बेसब्री से मोहन के उसके कमरे में आने का इंतज़ार कर रही थी 


इधर मोहन को होटल का काम जल्दी से जल्दी निबटाते हुये भी रात के दस बज गए थे 

इस एक घंटे में इंतज़ार करते करते नेहा तब तक बिलकुल बेसब्र हो चुकी थी 

" कहिए नेहा जी , बताइये आपको मेरी क्या हेल्प चाहिए ? "

मोहन ने रूम के अंदर आते ही पूछा था ,

वो काफी थका हुआ और नेहा से बात करके जल्दी से जल्दी वापिस अपने कमरे में जाकर आराम करना चाहता था 

पर अगली लाइन कहने से पहले ही मोहन का ध्यान नेहा के कपड़ों और रूम की सजावट पर पड़ा ,

उसके सामने नेहा एक खूबसूरत गाउन में सजी खड़ी थी , उसके हाथ में उसका ड्रिंक गिलास था 

कमरे में हल्का हल्का रोमांटिक म्यूजिक चल रहा था ,

सामने टेबल पर मोहन की मनपसंद शराब और स्नैक्स सजा था 

मोहन को एहसास हुआ की यहां तो माज़रा कुछ और ही है 

मोहन अभी कुछ कहता की उससे पहले नेहा ही बोल पड़ी 

" मोहन जी , मैं किसी का उधार  नहीं रखती "

" मैं पिछले कई दिनों से एक घुटन सी महसूस कर रही हूँ "

" आप आज अपनी शर्त पूरी कर लीजिये "

" ताकि मैं फ्री हो जाऊ , और हम आगे के काम के बारे में बात कर सकें "


मोहन तो ऐसे ही बेध्यानी में बिना कुछ सोचे नेहा के बुलाएं पर उसके कमरे में आा गया था 

उसको तो पिछली बातों के बारे में बिलकुल ध्यान ही नहीं था 

उसने तो सोचा था की नेहा उससे नॉवल के बारे में कोई बात करना चाहती है 

ये रात बिताने वाली शर्त भी उसने ऐसे ही रख दी थी 

उसको लगा था की नेहा कभी उसकी इस शर्त को नहीं मानेगी , मना कर देगी 

वो बस नेहा को टालना चाहता था 

पर नेहा तो आखिर नेहा थी ,

उसने वो शर्त मान ली थी और आज उसे पूरा करने के लिए भी बिलकुल तैयार थी 


नेहा को ऐसे मादक रूप में अपने सामने देखकर , मोहन भी अब डबल माइंड हो गया था 

बरसों से वो स्त्री शरीर से दूर रहा था 

बरसों से रोज सुबह पांच बजे उसका दिन शुरू होता था , और आम तौर पर रात बारह बजे तक चलता था 

इसी बिजी जीवन में उसे कभी शरीर की भूख का ख्याल ही नहीं आया था 

पिछले इतने सालों में किसी औरत से उसका कभी कोई शारीरिक रिश्ता भी नहीं रहा था 

पर आज नेहा को उसके इस अवतार में देखकर मोहन जाने क्यों कमज़ोर पड़ता जा रहा था 

उसकी बरसों से दबी हुयी शरीर की भूख उसकी सोच पर हावी होती जा रही थी 

जो बात इतने बरसों में नहीं हुयी थी , वो आज जाने कैसे ? और क्यों हो रही थी ??

वो बरसों से होटल बिज़नेस में था , तरह तरह के टूरिस्ट्स आते थे 

ऐसा बीसियों बार हुआ था की उसके पास मौक़ा था किसी के साथ इंटिमेट होने का 

पर कुछ था , जो उसे हर बार रोक लेता था 

मगर आज उसका धैर्य जवाब दे रहा था , वो भी बहकता जा रहा था 


" तुम बाथ क्यों नहीं ले लेते ? "

अचानक नेहा ने मोहन को कहा 

मोहन को एहसास हुआ की वो आज सुबह से काम में ही था 

और उसने खुद भी महसूस हुआ की वो अच्छा स्मेल नहीं कर रहा है 

" ठीक है , मैं नहाकर आता हूँ "

इतना कहकर मोहन जाने के लिए मुड़ा तो नेहा ने उसे हाथ पकड़कर रोक लिया और बोली 

" आप यहीं नहा लीजिये ना "

और वो मोहन का हाथ पकड़ कर उसे अपने रूम के बाथरूम तक ले गयी


शावर के गर्म पानी में मोहन को ऐसा लग रहा था की जैसे वो आज बरसों बाद नहा रहा हो  

वो अपने शरीर को ऐसे रगड़ रहा था ,

जैसे जाने बरसों के जमे हुए ग़मों को आज एक ही दिन में अपने शरीर से खुरच खुरच कर छुड़ा देना चाहता हो 

पवित्र हो जाना चाहता हो 

कुछ देर बाद मोहन ने अभी अपना हाथ शावर को बंद करने के लिए बढ़ाया ही था ,

की एक खूबसूरत हाथ  ने उसे पीछे से आकर रोक लिया और शावर को चलने दिया 

और फिर वो खूबसूरत नग्न बदन उसके नग्न गीले बदन से लिपट गया 

गर्म पानी बरसता रहा 

और फिर वो जाने कबसे प्यासे दो बदन एक दूसरे की प्यास बुझाने लगे 


मोहन हड़बड़ाकर उठ बैठा 

उसने देखा की उसके बिलकुल सामने वाली खिड़की के बंद परदे से भी रौशनी छन्न कर आ रही थी 

सूरज चमक रहा था 

वो बिलकुल निर्वस्त्र बिस्तर पर था , उसके बिलकुल पास ही नेहा भी उसी हालत में सोइ हुयी थी 

मोहन का सर दर्द से फटा जा रहा था 

उसने टाइम देखने के लिए अपना मोबाइल ढूंढा तो वो उसे अपनी साइड टेबल पर ऑफ पड़ा मिला 

उसने झपट कर मोबाइल उठाया और ओंन किया 

उसने अपने कपड़े ढूंढे तो वो उसे कहीं नहीं दिखे ,

उसे याद आया की वो रात को नहाने गया था , तो उसने कपड़े वहीँ उतारे थे 

तो वो फटाफट बाथरूम में भागा , जल्दी जल्दी मुँह धोया , 

खुद को कुछ संयत किया , फटाफट कपड़े पहने और फिर मोबाइल लेकर उस कमरे से बाहर निकल गया 

उसका मोबाइल अब तक चालू हो गया था ,

उसने टाइम चेक किया तो सुबह के दस बज गए थे 


अपने रूम के जाकर , फटाफट नहाकर मोहन होटल लॉबी में आ गया 

लॉबी में टूरिस्ट्स की भीड़ लगी हुयी थी , सारा स्टाफ काम में जुटा था 

बहुत महीनों के बाद ऐसा हुआ था की मोहन इतनी लेट काम पर आया हो 

बल्कि वो तो रोज सुबह सबसे पहले काम पर आता था 

लॉबी में ही उसे रामदीन मिल गया 

रामदीन के चेहरे पर एक रहसयमयी मुस्कराहट थी 

मोहन का एहसास हो गया था की कुछ तो है जो इस धूर्त रामदीन को पता चल गया है 




No comments:

Post a Comment