Saturday, February 3, 2024

JUNGLE CAT | HINDI KAHANI | PART - 10


 " तुम्हें मेरे साथ सोना पड़ेगा " , मोहन गुर्राया 

" डन "  नेहा ने एक पल भी सोचे बिना जवाब दिया और मुस्कुराने लगी 

उसकी ये मुस्कराहट मोहन के दिल में शूल की तरह चुभ रही थी 


मोहन वापिसी होटल की तरफ लौट रहा था 

रास्ते भर उसके दिमाग में बस यही सोच चल रही थी की क्या हो गया ये आजकल की लड़कियों को ?

इनके लिए किसी के भी सो जाना कोई अहमियत ही नहीं रखता 

क्या इनके लिए ये सब इतनी छोटी सी बात है 

बिलकुल मामूली सी 


नेहा हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो गयी थी 

पहले से बेहतर थी और वापिस होटल के रूम में ही शिफ्ट ह गयी थी 

सहगल साहब दिल्ली वापिस जा चुके थे 


" सर मुझे आपकी वो कहानी का एक रफ़ ड्राफ्ट आजकल में ही वेब टीम को अप्रूवल के लिए भेजना है "

" तो आज रात आप मेरे रूम में आ जाइये या मैं आपके रूम में आ जाती हूँ "

" ताकि आपकी वो शर्त ...... "

नेहा ने स्पष्ट शब्दों में मुस्कुराते हुए मोहन से कहा 

मोहन ने नेहा की बात को बीच में ही काट दिया और नज़रें चुराते हुए बोला 

" नहीं वो उसकी जल्दी नहीं है , पहले आपका अप्रूवल आ जाये "

" उसे हम फिर देख लेंगें "

इतना कहकर मोहन , नेहा से नज़रें चुराता हुआ उसके रूम से बाहर निकल गया 


अगले कुछ दिन नेहा दिन रात बस " जंगल कैट " पर ही काम करती रही 

जितना वो उस नॉवल को पढ़ती जा रही थी 

उतना ही वो मोहन की राइटिंग स्किल से प्रभावित होती जा रही थी 

उस नॉवल में एक ब्लॉक बस्टर मूवी के सारे एलिमेंट्स थे 

उसको पूरा विश्वास था की ये नॉवल तो वेब टीम हाथोंहाथ लेगी 

अगले सात दिनों की दिनरात की मेहनत के बाद आखिर नेहा ने उस नॉवल का एक ड्राफ्ट वेब टीम को भेज ही दिया 

और टीम का जवाब भी बस तीन दिनों में ही आ गया था 

वो बहुत खुश हुए थे और तुरंत कॉन्ट्रैक्ट साइन करना चाहते थे 


" सर वो वेब टीम का जवाब आ गया है "

" उन्हें कॉन्ट्रैक्ट साइन करना है और उससे पहले हमें भी अपना एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट बनाना है "

" ताकि कोई फ्यूचर फसाद ना हो "

" तो सबसे पहले तो हम आज रात को आपकी पहली शर्त को पूरा कर लेते हैं "

" फिर आगे की बात कर लेते हैं "

नेहा के चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट थी 

" कल ही हम एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट बना लेते हैं की अब से ये कहानी मेरी होगी 

इसपर आपका कोई राइट नहीं होगा "

" मैं इस कहानी को जैसे चाहूँ , जहाँ चाहूँ यूज़ कर सकती हूँ "

" आपको इसके बदले में पाँच लाख रूपये मिलेंगे "

इतना कहकर नेहा चुप हो गयी और मोहन के जवाब का इंतज़ार करने लगी 

" ठीक है आप कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्ट करा लीजिये "

और इतना कहकर मोहन फिर वहाँ से उठकर चला गया 

नेहा आश्चर्य से मोहन को जाते हुए देख रही थी , जैसे वो कोई अजूबा हो 

उसने मन ही मन सोचा " कैसा अजीब इंसान है यार ये ? "


आखिरकार अगले दो दिन बाद ही कॉन्ट्रैक्ट भी बन कर आ गया 

मोहन उस कॉन्ट्रैक्ट की एक एक लाइन को ध्यान से पढ़ रहा था 

ज्यादातर वहीँ आम सी लीगल बातें थी ,

जो गोल गोल घूम कर रिपीट हो रहीं थी की आज से इस नॉवल के सारे राइट्स नेहा के होंगें 

पर एक क्लोज पर आकर मोहन रुक गया 

उसमे लिखा था की अगले 2 महीनों तक रोजाना एक घंटा मोहन को नेहा के लिए देना होगा 

जिसमे नेहा नॉवल के बारे में उससे बात कर सके और उससे जानकारी ले सके 

" ये दो महीनों वाला क्लाज़ मुझे मंजूर नहीं है "

" मैं आपको अपने नॉवल के सारे राइट्स दे रहा हूँ "

" और क्या चाहिए आपको ? "

" या आपको एक खुद शब्द भी लिखना नहीं आता ?? "

" और बस नाम की ही राइटर हैं ??? "

इतना कहते कहते मोहन खुद काफी कड़वा हो गया था 

पर इसके विपरीत नेहा पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा 

वो शांत ही रही और संयत स्वर में बोली 

" नहीं लिखना तो मुझे भी आता है , पर ये नॉवल आपका बेबी है "

" तो जितना आप इस नॉवल को जानते हैं , उतना तो मैं कभी भी नहीं जान पाऊँगी "

" तो मेरी इस सक्सेस के लिए बहुत जरूरी है की आप मुझे अपना समय दें "

" वैसे चाहें तो आप अपने उस समय की कीमत भी मांग सकते हैं "

" एक घंटा रोज के बदले एक घंटा रोज़ "

" ठीक रहेगा ना ?? "

नेहा खिलखिलाकर हँस पड़ी और उसकी ये बात सुनकर मोहन जल - भुन  गया था 


मोहन ने नेहा का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर दिया 

नेहा ने उसे एक पाँच लाख का PDC चेक दे दिया 

अब नेहा जुट गयी " JUNGLE CAT " की कहानी को लिखने के लिए 

वो उस कहानी में अपना रंग भरना चाहती थी , उस कहानी को अपने शब्दों में ढालना चाहती थी 

कहीं ना कहीं उसको मोहन की बात चुभ गयी थी 

" या आपको एक खुद शब्द भी लिखना नहीं आता ?? "

" और बस नाम की ही राइटर हैं ??? "

मोहन के ये शब्द उसको अपनी कमियों का एहसास दिला रहे थे 

पर वो जितना भी कहानी में बदलाव करना चाहती , वापिस वहीँ लौट आती 

उसको अपना किया बदलाव हर बार कहानी में पैबंद की तरह लग रहा था 

कई दिनों तक दिन- रात मेहनत करने के बाद भी वो कहानी में कुछ बदलाव नहीं कर पायी थी 


" सर आज रात मुझे आपकी हेल्प चाहिए होगी "

" कहानी कहीं अटक रही है , आपकी राइटिंग में काफी खामियां हैं "

" चलो वो तो मैं ठीक कर दूंगीं "

" पर उन्हें ठीक करने के लिए मुझे आपसे कुछ बात करना जरूरी है "

" आप रात नौ बजे आ जाइये "

नेहा इतनी इगोस्टिक थी की उसने मोहन को उलटा ये कहा की उसकी कहानी में गलतियां हैं 


नेहा महीनों बाद उस दिन ब्यूटी पार्लर गयी 

उसने " फर्स्ट नाईट पैकेज " लिया 

रात के नौ बजने वाले थे और वो बेसब्री से मोहन के आने का इंतज़ार करने लगी 





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