रज्जन जी ने अपने पूरे जीवन के दौरान परोपकार-फूलों के जो अनगिनत पौधे लगाए थे
"आप क्यों जाते हो गांव ?
वो सब छोटे पौधे अब बड़े पेड़ बन चुके थे
सब आज फुटवियर बिज़नेस में बड़े और अच्छे नाम थे
मनु को उन सब का भरपूर सहयोग मिला
मनु फुटवियर बिज़नेस में जिस किसी से भी कभी भी मिला
सबने हमेशा रज्जन जी की भूरी-भूरी प्रसंशा ही की थी
करीब एक साल बाद मनु का छोटा भाई मुकेश भी फैक्ट्री आ गया
अब काम और भी अच्छा हो रहा था
रज्जन जी ने जब देखा की ये दोनों बच्चे अब नहीं मानेंगे और फुटवियर बिज़नेस ही करेंगे
तो उन्होंने भी अपनी जिद छोड़ दी
उन्होंने तुलसी नगर इन्देर्लोक में एक फैक्ट्री शेड खरीदा
और फैक्ट्री वहां शिफ्ट करा दी
और वो खुद भी कभी-कभी फैक्ट्री आने लगे और अपनी राय देने लगे
वो अक्सर ,हर महीने कम से कम 7 -8 दिन अपने गांव में ही बिताते
गांव में भी उनका ज्यादातर समय अपने खेतों पे किसानों के बीच बीतता था
जब वो वापस दिल्ली आते तो लगभग हर बार ही उन्हें सनबर्न हुआ होता था
क्युकी वो भरी गर्मी में भी अपने खेतों पर ही होते थे
मनु हमेशा गुस्सा करता-
"आप क्यों जाते हो गांव ?
क्या है गांव में " ?
वो हॅंस देते , कहते-
"अब तुझे कैसे समझाऊ ,
मेरा तो सब कुछ वहीँ है "
असल में उनका व्याकुल मन तो अपने गांव में ही रहता था
मौक़ा मिलते ही वो गाड़ी स्टार्ट करते
खुद गाड़ी चलाकर अपने गांव पहुंच जाते
वो कई-कई दिन वही रहते
वो कई-कई दिन वही रहते
रज्जन जी के बेटे मनु की शादी हो गयी
1997 में मनु के बेटे हेमू के जन्म पे वो हॉस्पिटल में ही थे
खबर सुनते ही रज्जन जी वही हस्पताल के कंपाउंड में ही नाचने लगे थे :)
लोग देख कर हँस रहे थे की ये 55 साल का आदमी हस्पताल में नाच रहा है
कहा था ना, एक बचपना था उनके अंदर
जो उन्होंने कभी खोने नहीं दिया
जीवन में सुख-दुःख
उतार-चढ़ाव आते रहे
वो हँसते रहे
बेटी ममता की शादी हुयी
बेटे मुकेश की शादी हुयी
सब अच्छा चल रहा था के एक दिन सुबह
2007 की एक सुबह हमेशा की तरह
रज्जन जी और नरेंद्र जी पंजाबी बाग़ क्लब स्विमिंग के लिए गए
2 घंटे बाद रज्जन जी के घर एक फोन आया के
रज्जन जी को स्विमिंग करते-करते हार्ट अटैक आया था
अब वो अग्रसेन हॉस्पिटल में हैं
मनु हस्पताल पंहुचा
उसने देखा
रज्जन जी के शरीर में कोई हरकत नहीं थी
"प्रवासी" जा चुका था
अपने गांव नहीं
अपने अंतिम सफर पे
अकेले...
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( निखत इफ्तिखार साहिबा का एक शेर है
" शौक को आज़मे सफर रखिये
बेखबर बनके सब खबर रखिये
जाने किस वक़्त कूच करना हो
अपना सामान मुक्तसर (तैयार) रखिये " )
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