थोड़ी देर बाद ही अरुण कॉलेज कैंटीन में
सीनियर्स द्वारा आयोजित फ़्रेशियर्स पार्टी में था
खाने के लिए ऐसे ही कुछ कुछ
पाइनएप्पल पेस्ट्रीज,समोसे,ब्रेड पकोड़ा, चाउमीन और चाय,कॉफ़ी और ठंडा था
वही कुछ फ्रेशेर और सीनियर गिटार पे कोई इंग्लिश गाना गा रहे थे
अरुण ने बहुत कोशिश की पर
गाने का एक भी शब्द उसे समझ नहीं आ रहा था
उसने तो कभी कोई इंग्लिश गाना सुना ही नहीं था
वो वहां उस पार्टी में सबके बीच होकर भी
दिल से बिलकुल भी वहां नहीं था
उसे बार-बार फिर वही थोड़ी देर पहले वाली पूरी घटना
दिमाग में फिल्म की तरह चल रही थी
बड़ी विचित्र सी मिक्स सी फीलिंग थी
शॉक,बेइज़त्ती ,सबसे अलग होने का एहसास
उसने अपने चारों और नज़र घुमा के देखा
सभी एक से एक खूबसूरत लोग
जीन्स-टी शर्ट
महंगे स्पोर्ट्स जूते पहने
ड्रायर किये ,बगैर तेल लगाए रूखे स्टाइलिश बाल
और उसके अपने कपडे
बहुत ही मामूली लग रहे थे उसे वो
शर्ट पेंट पहने वो अकेला ही था वहाँ
और जो अब घास और मिटटी लगने के बाद बहुत ही भद्दे दिख रहे थे
और उसने चमड़े के कोई पुराने से जूते पहने थे
पोलिश की मोटी परत भी उनके पुराने होने की कहानी छुपा नहीं पा रही थी
मन ही मन अपनी अच्छे से खुद ही लानत-मलानत करने के बाद
उसे जो पहली ख्याल आया
वो था उन भूरी आँखों का
जिन्होंने उसकी ये सारी मट्टी पलीत कराई थी
उसने खूब नज़र दौड़ाकर पूरी कैंटीन में हर तरफ देखा
उसे ना वो आँखें
ना वो आँखों वाली लड़की कहीं दिखाई दी
भूखा था तो ,फ्री का खाना भरपेट खाया
चाय भी पी
और चुपचाप किसी से बात किये बिना वो कैंटीन से बाहर निकल गया
कॉलेज ऑफिस गया
अपने लेक्चर्स का डिटेल लिया
और घर जाने के लिए कॉलेज के गेट की और बढ़ गया
अभी वो गेट तक पहुंचा भी नहीं था की
पीछे से एक कार तेज़ी से आकर उसके बिलकुल पीछे
बस कुछ इंच दूर रुकी
टायरों के रुकने की ,ब्रेक की आवाज़
इतनी तेज़ और भयानक थी की
अरुण को लगा आज तो वो गया
डर कर अरुण वहीं बुत बना खड़ा रह गया था
अपने दोनों हाथ उसने कस कर अपने कानों पे रख लिए थे
उसकी आँखें भी बंद हो गयी थी
कुछ पल बाद किसी की हँसी और बार-बार ये कहना
"सॉरी सॉरी सॉरी
आई ऍम रियली वैरी सॉरी
प्लीज मुझे माफ़ कर दो "
ये दोनों ही बातें उसे एक साथ सुनाई दे रही थी
ये फिर वही भूरी आँखों वाली थी
अबकी बार हँसी केवल आँखों से नहीं
बल्कि उसके पूरे वजूद से खिलखिला रही थी
वो एक तरह खिलखिलाकर हॅंस भी रही थी
और बार-बार माफी भी मांग रही थी
अरुण गुस्से,शर्म,अपमान सब भावनाओ से एक साथ गुजर रहा था
वो आपा खो बैठा
"आप सीनियर हो तो क्या जान ले लोगी "
अरुण बोलते-बोलते हांफ रहा था
पर पूरी आवाज़ में चीख कर बोला था
"अले ले ले ले ,
मेला बच्चा
मेला बाबू
चल आजा
पानी पी ले
छोटे बच्चे गुस्सा नहीं करते "
वो अपनी गाड़ी से पानी की बोतल निकाल कर देते हुए
अरुण से ऐसे बोली थी
जैसे अरुण कोई छोटा बच्चा हो और वो खुद उसकी दादी अम्माँ
अरुण अब बुरी तरह चिढ़ चुका था
पर खुद पे कण्ट्रोल कर वो धीरे से बोला
"मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए
प्लीज अब आप मुझे माफ़ कीजिये "
अरुण सचमुच हाथ जोड़ते हुए बोला था
वो फिर से हँसी , बोली-
"चलो बाबा सॉरी
आ तुम्हे घर छोड़ देती हूँ "
अरुण ने उसे घूर कर देखा
"जी नहीं .......शुक्रिया "
उसने फिरसे दोनों हाथ जोड़कर बोला था
उसे फिर से गुस्से से घूर कर देखते हुए अरुण तेज़ क़दमों से कॉलेज गेट से बाहर निकल गया
और गेट के बिलकुल बाहर बने बस स्टैंड पर जाकर बैठ गया
वो समझ नहीं पा रहा था के ये उसके साथ क्या और क्यों हो रहा है
तभी उसने एक हॉर्न सुनकर सर उठाकर देखा
ये फिर वही थी
अपनी कार में से उसे हाथ हिलाकर वेव कर रही थी
वही खिलखिली हँसी उसके चेहरे पे थी
अरुण ने ना कोई वेव का जवाब दिया
बस मुँह फेर लिया था
अरुण ने मन ही मन फैसला कर लिया था की
वो ये कॉलेज छोड़ देगा।
-----------------------------------------------------------------------------------
सीनियर्स द्वारा आयोजित फ़्रेशियर्स पार्टी में था
खाने के लिए ऐसे ही कुछ कुछ
पाइनएप्पल पेस्ट्रीज,समोसे,ब्रेड पकोड़ा, चाउमीन और चाय,कॉफ़ी और ठंडा था
वही कुछ फ्रेशेर और सीनियर गिटार पे कोई इंग्लिश गाना गा रहे थे
अरुण ने बहुत कोशिश की पर
गाने का एक भी शब्द उसे समझ नहीं आ रहा था
उसने तो कभी कोई इंग्लिश गाना सुना ही नहीं था
वो वहां उस पार्टी में सबके बीच होकर भी
दिल से बिलकुल भी वहां नहीं था
उसे बार-बार फिर वही थोड़ी देर पहले वाली पूरी घटना
दिमाग में फिल्म की तरह चल रही थी
बड़ी विचित्र सी मिक्स सी फीलिंग थी
शॉक,बेइज़त्ती ,सबसे अलग होने का एहसास
उसने अपने चारों और नज़र घुमा के देखा
सभी एक से एक खूबसूरत लोग
जीन्स-टी शर्ट
महंगे स्पोर्ट्स जूते पहने
ड्रायर किये ,बगैर तेल लगाए रूखे स्टाइलिश बाल
और उसके अपने कपडे
बहुत ही मामूली लग रहे थे उसे वो
शर्ट पेंट पहने वो अकेला ही था वहाँ
और जो अब घास और मिटटी लगने के बाद बहुत ही भद्दे दिख रहे थे
और उसने चमड़े के कोई पुराने से जूते पहने थे
पोलिश की मोटी परत भी उनके पुराने होने की कहानी छुपा नहीं पा रही थी
मन ही मन अपनी अच्छे से खुद ही लानत-मलानत करने के बाद
उसे जो पहली ख्याल आया
वो था उन भूरी आँखों का
जिन्होंने उसकी ये सारी मट्टी पलीत कराई थी
उसने खूब नज़र दौड़ाकर पूरी कैंटीन में हर तरफ देखा
उसे ना वो आँखें
ना वो आँखों वाली लड़की कहीं दिखाई दी
भूखा था तो ,फ्री का खाना भरपेट खाया
चाय भी पी
और चुपचाप किसी से बात किये बिना वो कैंटीन से बाहर निकल गया
कॉलेज ऑफिस गया
अपने लेक्चर्स का डिटेल लिया
और घर जाने के लिए कॉलेज के गेट की और बढ़ गया
अभी वो गेट तक पहुंचा भी नहीं था की
पीछे से एक कार तेज़ी से आकर उसके बिलकुल पीछे
बस कुछ इंच दूर रुकी
टायरों के रुकने की ,ब्रेक की आवाज़
इतनी तेज़ और भयानक थी की
अरुण को लगा आज तो वो गया
डर कर अरुण वहीं बुत बना खड़ा रह गया था
अपने दोनों हाथ उसने कस कर अपने कानों पे रख लिए थे
उसकी आँखें भी बंद हो गयी थी
कुछ पल बाद किसी की हँसी और बार-बार ये कहना
"सॉरी सॉरी सॉरी
आई ऍम रियली वैरी सॉरी
प्लीज मुझे माफ़ कर दो "
ये दोनों ही बातें उसे एक साथ सुनाई दे रही थी
ये फिर वही भूरी आँखों वाली थी
अबकी बार हँसी केवल आँखों से नहीं
बल्कि उसके पूरे वजूद से खिलखिला रही थी
वो एक तरह खिलखिलाकर हॅंस भी रही थी
और बार-बार माफी भी मांग रही थी
अरुण गुस्से,शर्म,अपमान सब भावनाओ से एक साथ गुजर रहा था
वो आपा खो बैठा
"आप सीनियर हो तो क्या जान ले लोगी "
अरुण बोलते-बोलते हांफ रहा था
पर पूरी आवाज़ में चीख कर बोला था
"अले ले ले ले ,
मेला बच्चा
मेला बाबू
चल आजा
पानी पी ले
छोटे बच्चे गुस्सा नहीं करते "
वो अपनी गाड़ी से पानी की बोतल निकाल कर देते हुए
अरुण से ऐसे बोली थी
जैसे अरुण कोई छोटा बच्चा हो और वो खुद उसकी दादी अम्माँ
अरुण अब बुरी तरह चिढ़ चुका था
पर खुद पे कण्ट्रोल कर वो धीरे से बोला
"मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए
प्लीज अब आप मुझे माफ़ कीजिये "
अरुण सचमुच हाथ जोड़ते हुए बोला था
वो फिर से हँसी , बोली-
"चलो बाबा सॉरी
आ तुम्हे घर छोड़ देती हूँ "
अरुण ने उसे घूर कर देखा
"जी नहीं .......शुक्रिया "
उसने फिरसे दोनों हाथ जोड़कर बोला था
उसे फिर से गुस्से से घूर कर देखते हुए अरुण तेज़ क़दमों से कॉलेज गेट से बाहर निकल गया
और गेट के बिलकुल बाहर बने बस स्टैंड पर जाकर बैठ गया
वो समझ नहीं पा रहा था के ये उसके साथ क्या और क्यों हो रहा है
तभी उसने एक हॉर्न सुनकर सर उठाकर देखा
ये फिर वही थी
अपनी कार में से उसे हाथ हिलाकर वेव कर रही थी
वही खिलखिली हँसी उसके चेहरे पे थी
अरुण ने ना कोई वेव का जवाब दिया
बस मुँह फेर लिया था
अरुण ने मन ही मन फैसला कर लिया था की
वो ये कॉलेज छोड़ देगा।
-----------------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment