Sunday, May 31, 2020

वो बड़ के पेड़ वाली चुड़ैल,-4

" अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड लगता है ,
पर जब धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के समान लगता है
यही सापेक्षिकता है "- "अल्बर्ट आइंस्टाइन  "

अरुण ने अल्बर्ट आइंस्टीन का ये सापेक्षिकता का सिद्धांत पढ़ा तो था
पर प्रैक्टिकली समझ में आज आया
नीना के साथ विम्पी की मुलाकात के बाद
उस मुलाक़ात के बाद अरुण तो जैसे नीना का ही हो गया था
कल ही की तरह आज रात भी वो ,
छत पे अपने पलंग पर लेटे-लेटे तारों को ही देख रहा था
आज उसे सब कुछ बहुत ही प्यारा
बहुत ही पाक लग रहा था
शायद यही सापेक्षिकता है :)
इसी मदहोशी में नीना के ख़्वाब देखते देखते कब वो सो गया
उसे याद नहीं
अगले दिन कॉलेज में खुलते ही उसे खुद ही इतंज़ार था
उस मधुर आवाज़ का "हे फ़्रेशी " का
और कुछ देर बाद उसका उस मधुर आवाज़ से सामना हो ही गया था
वो आज भी गार्डन एरिया में ही थी और
वो और उसके सारे दोस्त मिलकर आज भी फ़्रेशी स्टूडेंट्स की रैगिंग कर रहे थे
अरुण ने पाया की नीना और उसके दोस्तों ने ना किसी फ़्रेशी की इंसल्ट की और
ना ही किसी फ़्रेशी को कोई ख़ास परेशानी दी
उन सभी सीनियर्स का मकसद तो बस थोड़ा सा मनोरंजन और फ़्रेशी के साथ इंट्रो करने का था
अरुण भी उनके साथ बैठ कर खुद को सीनियर ही समझ रहा था
 आधा दिन कैसे पास हुआ ,अरुण को पता ही नहीं चला
आज फिर परसों की तरह कैंटीन में ही फ़्रेशी लोगों की वेलकम पार्टी थी
वही थीम थी
वही खाने का मेनू
पर अरुण के लिए आज सब कुछ बदला-बदला था
वो आज पार्टी को खूब एन्जॉय कर रहा था
वही इंग्लिश गाने उसे समझ में तो आज भी नहीं आ रहे थे
पर कानों को मीठे लग रहे थे
वो नीना और उसके दोस्तों के साथ ही उन्ही की टेबल पे बैठा था
तभी एक हैंडसम सा लड़का वहां आया
आते ही वो अरुण से बोला
"साले तू तो फ़्रेशी है ना
यहाँ क्यों बैठा है
उधर फ़्रेशी टेबल पे जाके बैठ "
वो चीख कर बोला था
अरुण को काटो तो खून नहीं
उसने दयनीय नज़रों से नीना की ओर देखा और उठने लगा
नीना ने उसका हाथ पकड़ के रोक लिया
गुस्से में बोली-
"रोनी क्या हुआ अगर वो यहाँ बैठ गया
  मैं लाई हूँ इसे "
 "मगर नीना तू  इन फ़्रेशी लोगों को सर पे चढ़ाएगी तो ये हमारी इज़्ज़त कैसे करेंगे "
रोनी बोला  था
नीना- "रोनी इज़्ज़त दिल से होती है जबरदस्ती नहीं"
रोनी - "नीना तू हर किसी ऐरे गैरे को ग्रुप में ले आती है
            ये तेरा नया स्टेपनी है क्या ? "
ये "स्टेपनी " शब्द सुनना था की नीना ने जो गालियां देनी शुरू की है रोनी को
और फिर रोनी ने भी नीना को
एक जबरदस्त शोर सा मच गया था वहां
रीना और रोनी दोनों एक दूसरे को इंलिश में तेज़ तेज़ जाने क्या-क्या बोल रहे थे
सारा ग्रुप उस दोनों को चुप कराने की कोशिश कर रहा था
अरुण को तो बस कुछ शब्द ही ठीक से सुनाई दे रहे थे
"बास्टर्ड ... बिच .... स्टेपनी ...... चीटिंग .... यू नो दिस .....  यू नो दैट "
अरुण को समझ नहीं आया के ये क्या हो रहा है
और क्यों ?
तो वो चुपचाप उठा और फ़्रेशी टेबल पे आकर बैठ गया
और दूर से ही उस हंगामे को देखता रहा
कुछ देर बाद उसने देखा की नीना और रोनी दोनों चुप हो गए हैं
फिर दोनों गले मिले
और फिर ..... ये क्या .....
दोनों ने किस भी किया
अरुण का दिल धक् से रह गया था
अब नीना और रोनी हँसते हुए उसी की और आ रहे थे
पास आकर नीना ही बोली थी-
अरुण इससे मिलो-
" ... मेरा क्रेजी बॉयफ्रेंड रोनी "- खुलकर हंसी थी वो
" बॉयफ्रेंड "
ये शब्द हथौड़े की तरह अरुण के दिल पे पड़ा
उधर रोनी ने खुद अरुण का हाथ पकड़ कर मिलाया और बोला -
"सॉरी मेट सॉरी फॉर दैट मिसअंडरस्टैंडिंग "
अरुण स्तब्ध सा वही खड़ा था
"ओके अरुण , कल मिलते हैं "
अरुण के गाल को छू कर एक मुस्कराहट बिखेरते हुए नीना ने कहा
और रोनी की उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फसाये
उसके कंधे पे अपना सर टिकाते हुए
वो कुछ शरारती बात रोनी के कान में कह रही थी
और वो दोनों आपस में गुथे-सटे से नीना और रोनी
कैंटीन से बाहर की और बढ़ गए

अरुण सहमा स्तब्ध सा अपना सर पकडे
उसी फ़्रेशी टेबल की एक चेयर पर धम्म से बैठ गया
" क्या लड़की है यार ये 
बिलकुल चुड़ैल है ये तो "
वो धीरे से खुद से ही बोला था।





         





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