आपको पहले ही बता दूँ की ये कहानी अभिनेता संजय दत्त के बारे में बिलकुल भी नहीं है :)
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किसी ज़माने में दो दोस्त होते थे संजू और मनु
दोनों त्रिनगर में ही रहते थे ,पर अलग-अलग मोहल्लों में
पर एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढ़ते थे
उनकी दोस्ती शायद छठी क्लास में हुयी होगी
जब वो दोनों पांचवी क्लास पास करके स्कूल की छोटी ब्रांच से निकलकर
छठी क्लास में MSV स्कूल की बड़ी बिल्डिंग में शिफ्ट हुए थे
जहाँ मनु काफी चुप रहने वाला और शांत सा लड़का था
वहीँ संजू कुछ अलग तरह की ही मिटटी का बना था
वो बहुत ही वाचाल,ज़िंदगी से भरपूर,निश्चिन्त और आत्मविश्वास से भरा हुआ था
वो ऐसा था के कुछ भी हो जाए
उसको विश्वास होता था की वो इसे अपने फायदे में मोड़ ही लेगा,
मतलब जैसे उसके साथ तो कुछ गलत कभी हो ही नहीं सकता
जैसे समर वेकेशन होमवर्क ना करना और फिर भी सजा से बच जाना,
किसी शरारत में पकडे जाने पे भी
कैसे न कैसे बच निकलना उसके लिए बाएं हाथ का खेल था
देसी भाषा में बोलू तो बहुत बड़ा जुगाड़ू था संजू :)
संजू हमेशा अपनी उम्र से बहुत ज्यादा आगे की समझ रखता था
यहीं मनु शायद अपनी उम्र से कुछ कम की :)
मतलब दोनों का स्वाभाव एकदम उलट था
(पर शायद दोस्ती होती भी कुछ अलग-अलग टाइप के लोगों में ही है)
उस जिंदगी की मूवी में संजू हीरो था और मनु साइड हीरो
(वो होता है ना हर मूवी में हीरो का एक घोंचू दोस्त :) मनु वही था )
संजू जब 9 वी क्लास में था
वो स्कूल की छुट्टी के बाद दूसरे सेक्शन की लड़की के पीछे जाकर,
रोज़ उसे घर तक छोड़ के आता था
(वैसे मनु भी इच्छा से या अनिच्छा से अक्सर साथ ही होता था)
संजू दावा करता की वो लड़की संजू की GF यानिकि GIRL FRIEND है
(हालांकि उन दोनों को बात करते किसी ने कभी नहीं देखा था )
स्कूल में किसी लड़की को साइड से टकरा कर निकल जाना
कहीं छू लेना और फिर सब दोस्तों को हँस कर बड़ा-चढ़ा के बताना
संजू के लिए आम सी बात थी
संजू का कहना था की उसकी एक गर्ल फ्रेंड उसके पड़ोस में भी है
और एक बार तो जब संजू 7 दिन की छुट्टी के बाद अपने कजिन भाई की शादी से लौटा तो
संजू ने बताया की कैसे शादी में संजू की नयी भाभी की छोटी बहन
संजू की दीवानी हो गयी थी और
उसने खुद आगे बढ़कर संजू को किस किया
और फिर उन दोनों ने .....ना जाने क्या क्या :)
संजू, मनु का आदर्श बन गया था
अच्छा बुरा तो पता नहीं पर मनु को लगता था की संजू उससे कहीं बहुत आगे है
उसे जीवन का सब कुछ पता है और मनु को कुछ भी नहीं पता
मनु ,संजू के जैसा बनना चाहता था
बिंदास जीना चाहता था
ये स्कूल 10TH तक ही था तो 10 TH के बाद दोनों का अलग-अलग स्कूल मे दाखिला हो गया
संजू रामजस स्कूल,आनंद परबत चला गया
मनु को पापा ने अपने एक बोहोत ही ख़ास मित्र की मदद से ,
सिविल लाइन्स के बहुत प्रेस्टीजियस स्कूल लुडलो कैसल में दाखिल करा दिया था
मनु अलग स्कूल में जाने लगा पर उसे संजू के साथ की ऐसी आदत पड़ गयी थी की
नए स्कूल में उसका मन ही नहीं लगता था
वो बहुत रोया धोया
पापा बहुत गुस्सा हुए
पर कुछ ही दिन बाद मनु ने लुडलो कैसल स्कूल छोड़ दिया
और संजू के स्कूल में ही आ गया
(ये स्कूल बहुत ही घटिया था और इसने मनु के जीवन को कैसे बदला ये फिर किसी कहानी में )
अब दोनों दोस्त फिर साथ थे
ये स्कूल पिछले स्कूल से एकदम अलग था
जहाँ पिछले स्कूल में सख्त अनुशासन था इस स्कूल में बिलकुल रोकटोक नहीं थी
तो दोनों का स्कूल बंक करना , मॉर्निंग शो देखना अक्सर होता था
11 TH ,12TH २ साल वो साथ उस स्कूल में रहे
वहां और दोस्त भी बने पर वो दो, एक ही रहे
स्कूल ख़त्म हो गया था
12 TH में मनु के नंबर बहुत कम आये थे और संजू तो बस फ़ैल होते-होते बचा था
मनु बहुत निराश था,वो संजू से बोला - "भाई अब क्या होगा ?
संजू (हँसते हुये बोलै था )-
"अबे पास तो हो गए ना "
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है :) "
संजू ने इसी मोड़ पे पढ़ाई छोड़ दी और अपने पापा की दूकान जाने लगा
मनु ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया
शुरू शुरू में दोनों मिलते थे
पर समय के साथ ये अंतराल बढ़ता गया
मनु के जीवन में अब नए-नए दोस्त आ रहे थे
अब उलटा हो गया था
कहाँ मनु संजू के बिना रह नहीं पाता था और कहाँ अब
संजू फोन करता था पर मनु के पास उससे मिलने का ,बात तक करने का समय नहीं होता था
मनु ने फोन उठाना भी बंद कर दिया था
फिर शायद संजू भी समझ गया और अब उसके फोन भी नहीं आते थे
बरसों बाद संजू का अचानक फोन आया
उसने मनु को बताया की वो सोनीपत शिफ्ट हो गया है
"कभी मिलने आजा ना "(संजू हंसकर बोला था )
शायद बरसों का जमा हुआ अपराधबोध था या क्या पता नहीं पर
अगले संडे ही मनु ,संजू के घर सोनीपत में था
वो एक साफ़-सुथरा, बड़ा, खुला ,हवादार सिंगल स्टोरी बंगलो टाइप सिंपल घर था
अकेले बैठे तो संजू ने बताया -
"भाई करीब 10 साल पहले ही पापा की मौत हो गयी थी
तुझे फोन किया था पर तूने उठाया ही नहीं तो..
(मनु ने शर्म से आँखें झुका ली थी )
पापा का कुछ पुराना क़र्ज़ था (वो बहुत धीमे स्वर में बोल रहा था)
तो त्रिनगर वाला घर बेचना पड़ा
क़र्ज़ चुकाने के बाद बचे पैसे में दिल्ली में कोई घर मिला नहीं
तो सोनीपत की इस नयी बसी सुनसान सी हुडा कॉलोनी में ये 500 गज़ का प्लाट ले लिया था
फिर धीरे-धीरे बना भी लिया
भाई पहले-पहले बहुत रोना आता था यहाँ आकर (उसका स्वर रुआंसा सा था )
बहुत तकलीफें थी यहाँ रहने में
सुनसान था बिलकुल
ना कोई आस-पड़ोस में रहता था
ना कोई सामान पास में मिलता था
सब रिश्तेदार दिल्ली में थे तो कोई इतना दूर मिलने भी नहीं आ पाता था
यार तब यहाँ आने-जाने का भी कोई ख़ास साधन नहीं था
मम्मी पूरा-पूरा दिन रोती थी की
"तू मुझे कहाँ जंगल में ले आया "
"पर भाई अब यहाँ सब बेहतरीन है (वो हॅसते हुए बोला )
अब सब सुविधाएँ यहाँ आ गयी हैं
यहां सब लोग घर के पीछे के हिस्से में खुद सब्जियां उगाते हैं ,तो हम भी उगाने लगे
पास में ही सारी जरूरतों की दुकाने अब खुल गयी है
सारा पास-पड़ोस भर गया है
अब मम्मी का पड़ोस के लोगों में खूब दिल लग गया है
रिश्तेदार भी कभी-कभी मिलने आ ही जाते है
"जैसे आज तू भी आ गया", (संजू ने खिलखिलाते हुए कहा)
(मनु थोड़ा शर्मिन्दा,असहज हो गया था )
मनु- "भाई तू दूकान कैसे जाता है "
संजू- "स्कूटर से सोनीपत रेलवे स्टेशन जाता हूँ और वहां से सीधी ट्रैन है नए बाज़ार दूकान की
शाम को 7 वाली ट्रैन से घर वापस "
फिर आराम मारो
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है :) "
अब फिर संजू और मनु को मिले बरसों हो गए थे
अचानक ही COVID-19 की वजह से पूरे भारत में LOCKDOWN हो गया
LOCKDOWN के कुछ ही दिन बीतें होंगे की संजू ने फिर मनु को फोन किया
आमतौर पे मनु अब भी संजू का फोन नहीं उठता था पर
इन दिनों अपने व्यस्त जीवन से बिलकुल खाली, बोर था
फोन उठाते ही संजू की वही चहकती आवाज़-
"साले आज फोन उठा ही लिया तूने भाई का
और घर-परिवार कुशल-मंगल ?
मनु सकुचा गया-"हाँ भाई सब बढ़िया, तू बता "
मनु का इतना बोलना था की ....
संजू- "भाई अपना तो भयंकर अच्छे वाला टाइम कट रा है "
घर के सामने वाला प्लाट खाली पड़ा था तो उसमे एक बैडमिंटन कोर्ट बना लिया है
पूरे दिन सारा मोहल्ला वहां साथ में बैडमिंटन खेलता है
कभी चाय-पकोड़े , कभी रूहअफजा और शाम को तो भाई रोज़ दारु....
और भाई वज़न भी 5 किलो घटा लिया 1 महीने में ,बस अब 2 किलो और घटाना है
सब्जियां तो यहाँ सारे घर में ही उगाते है तो आपस में बाटर कर लेते हैं
थोड़ी दूर पे ही एक किसान अपने खेत पे भैस पालता था
पहले तो साला बहुत नखरे करता था
ज्यादा रेट माँगता था तो हम दूध नहीं लेते थे
पर साले के ग्राहक दूर थे तो
अब साला मिन्नत करके रोज़ हमारे भाव पे ,दोनों टाइम हाथ जोड़कर दूध देकर जाता है "
बढ़िया खा रहें हैं
पी रहें हैं
ज़िन्दगी मज़े से कट रही है
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है "
मनु का मुँह खुला का खुला रह गया
कहाँ वो दिल्ली शहर की एक पॉश कॉलोनी में रहते हुए
सारा दिन बस नकारात्मक बातें सोचता रहता है के
दुनिया ख़त्म हो गयी है
कुछ नहीं बचा
क्या होगा ?
कैसे होगा ?
और ये संजू.....
इतना सकारात्मक....
इतना खुश कैसे ....
उसके कानों में बार-बार बस संजू के शब्द गूँज रहे थे
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है "
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#बचपन #bachpan
manojgupta0707.blogspot.com
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किसी ज़माने में दो दोस्त होते थे संजू और मनु
दोनों त्रिनगर में ही रहते थे ,पर अलग-अलग मोहल्लों में
पर एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढ़ते थे
उनकी दोस्ती शायद छठी क्लास में हुयी होगी
जब वो दोनों पांचवी क्लास पास करके स्कूल की छोटी ब्रांच से निकलकर
छठी क्लास में MSV स्कूल की बड़ी बिल्डिंग में शिफ्ट हुए थे
जहाँ मनु काफी चुप रहने वाला और शांत सा लड़का था
वहीँ संजू कुछ अलग तरह की ही मिटटी का बना था
वो बहुत ही वाचाल,ज़िंदगी से भरपूर,निश्चिन्त और आत्मविश्वास से भरा हुआ था
वो ऐसा था के कुछ भी हो जाए
उसको विश्वास होता था की वो इसे अपने फायदे में मोड़ ही लेगा,
मतलब जैसे उसके साथ तो कुछ गलत कभी हो ही नहीं सकता
जैसे समर वेकेशन होमवर्क ना करना और फिर भी सजा से बच जाना,
किसी शरारत में पकडे जाने पे भी
कैसे न कैसे बच निकलना उसके लिए बाएं हाथ का खेल था
देसी भाषा में बोलू तो बहुत बड़ा जुगाड़ू था संजू :)
संजू हमेशा अपनी उम्र से बहुत ज्यादा आगे की समझ रखता था
यहीं मनु शायद अपनी उम्र से कुछ कम की :)
मतलब दोनों का स्वाभाव एकदम उलट था
(पर शायद दोस्ती होती भी कुछ अलग-अलग टाइप के लोगों में ही है)
उस जिंदगी की मूवी में संजू हीरो था और मनु साइड हीरो
(वो होता है ना हर मूवी में हीरो का एक घोंचू दोस्त :) मनु वही था )
संजू जब 9 वी क्लास में था
वो स्कूल की छुट्टी के बाद दूसरे सेक्शन की लड़की के पीछे जाकर,
रोज़ उसे घर तक छोड़ के आता था
(वैसे मनु भी इच्छा से या अनिच्छा से अक्सर साथ ही होता था)
संजू दावा करता की वो लड़की संजू की GF यानिकि GIRL FRIEND है
(हालांकि उन दोनों को बात करते किसी ने कभी नहीं देखा था )
स्कूल में किसी लड़की को साइड से टकरा कर निकल जाना
कहीं छू लेना और फिर सब दोस्तों को हँस कर बड़ा-चढ़ा के बताना
संजू के लिए आम सी बात थी
संजू का कहना था की उसकी एक गर्ल फ्रेंड उसके पड़ोस में भी है
और एक बार तो जब संजू 7 दिन की छुट्टी के बाद अपने कजिन भाई की शादी से लौटा तो
संजू ने बताया की कैसे शादी में संजू की नयी भाभी की छोटी बहन
संजू की दीवानी हो गयी थी और
उसने खुद आगे बढ़कर संजू को किस किया
और फिर उन दोनों ने .....ना जाने क्या क्या :)
संजू, मनु का आदर्श बन गया था
अच्छा बुरा तो पता नहीं पर मनु को लगता था की संजू उससे कहीं बहुत आगे है
उसे जीवन का सब कुछ पता है और मनु को कुछ भी नहीं पता
मनु ,संजू के जैसा बनना चाहता था
बिंदास जीना चाहता था
ये स्कूल 10TH तक ही था तो 10 TH के बाद दोनों का अलग-अलग स्कूल मे दाखिला हो गया
संजू रामजस स्कूल,आनंद परबत चला गया
मनु को पापा ने अपने एक बोहोत ही ख़ास मित्र की मदद से ,
सिविल लाइन्स के बहुत प्रेस्टीजियस स्कूल लुडलो कैसल में दाखिल करा दिया था
मनु अलग स्कूल में जाने लगा पर उसे संजू के साथ की ऐसी आदत पड़ गयी थी की
नए स्कूल में उसका मन ही नहीं लगता था
वो बहुत रोया धोया
पापा बहुत गुस्सा हुए
पर कुछ ही दिन बाद मनु ने लुडलो कैसल स्कूल छोड़ दिया
और संजू के स्कूल में ही आ गया
(ये स्कूल बहुत ही घटिया था और इसने मनु के जीवन को कैसे बदला ये फिर किसी कहानी में )
अब दोनों दोस्त फिर साथ थे
ये स्कूल पिछले स्कूल से एकदम अलग था
जहाँ पिछले स्कूल में सख्त अनुशासन था इस स्कूल में बिलकुल रोकटोक नहीं थी
तो दोनों का स्कूल बंक करना , मॉर्निंग शो देखना अक्सर होता था
11 TH ,12TH २ साल वो साथ उस स्कूल में रहे
वहां और दोस्त भी बने पर वो दो, एक ही रहे
स्कूल ख़त्म हो गया था
12 TH में मनु के नंबर बहुत कम आये थे और संजू तो बस फ़ैल होते-होते बचा था
मनु बहुत निराश था,वो संजू से बोला - "भाई अब क्या होगा ?
संजू (हँसते हुये बोलै था )-
"अबे पास तो हो गए ना "
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है :) "
संजू ने इसी मोड़ पे पढ़ाई छोड़ दी और अपने पापा की दूकान जाने लगा
मनु ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया
शुरू शुरू में दोनों मिलते थे
पर समय के साथ ये अंतराल बढ़ता गया
मनु के जीवन में अब नए-नए दोस्त आ रहे थे
अब उलटा हो गया था
कहाँ मनु संजू के बिना रह नहीं पाता था और कहाँ अब
संजू फोन करता था पर मनु के पास उससे मिलने का ,बात तक करने का समय नहीं होता था
मनु ने फोन उठाना भी बंद कर दिया था
फिर शायद संजू भी समझ गया और अब उसके फोन भी नहीं आते थे
बरसों बाद संजू का अचानक फोन आया
उसने मनु को बताया की वो सोनीपत शिफ्ट हो गया है
"कभी मिलने आजा ना "(संजू हंसकर बोला था )
शायद बरसों का जमा हुआ अपराधबोध था या क्या पता नहीं पर
अगले संडे ही मनु ,संजू के घर सोनीपत में था
वो एक साफ़-सुथरा, बड़ा, खुला ,हवादार सिंगल स्टोरी बंगलो टाइप सिंपल घर था
अकेले बैठे तो संजू ने बताया -
"भाई करीब 10 साल पहले ही पापा की मौत हो गयी थी
तुझे फोन किया था पर तूने उठाया ही नहीं तो..
(मनु ने शर्म से आँखें झुका ली थी )
पापा का कुछ पुराना क़र्ज़ था (वो बहुत धीमे स्वर में बोल रहा था)
तो त्रिनगर वाला घर बेचना पड़ा
क़र्ज़ चुकाने के बाद बचे पैसे में दिल्ली में कोई घर मिला नहीं
तो सोनीपत की इस नयी बसी सुनसान सी हुडा कॉलोनी में ये 500 गज़ का प्लाट ले लिया था
फिर धीरे-धीरे बना भी लिया
भाई पहले-पहले बहुत रोना आता था यहाँ आकर (उसका स्वर रुआंसा सा था )
बहुत तकलीफें थी यहाँ रहने में
सुनसान था बिलकुल
ना कोई आस-पड़ोस में रहता था
ना कोई सामान पास में मिलता था
सब रिश्तेदार दिल्ली में थे तो कोई इतना दूर मिलने भी नहीं आ पाता था
यार तब यहाँ आने-जाने का भी कोई ख़ास साधन नहीं था
मम्मी पूरा-पूरा दिन रोती थी की
"तू मुझे कहाँ जंगल में ले आया "
"पर भाई अब यहाँ सब बेहतरीन है (वो हॅसते हुए बोला )
अब सब सुविधाएँ यहाँ आ गयी हैं
यहां सब लोग घर के पीछे के हिस्से में खुद सब्जियां उगाते हैं ,तो हम भी उगाने लगे
पास में ही सारी जरूरतों की दुकाने अब खुल गयी है
सारा पास-पड़ोस भर गया है
अब मम्मी का पड़ोस के लोगों में खूब दिल लग गया है
रिश्तेदार भी कभी-कभी मिलने आ ही जाते है
"जैसे आज तू भी आ गया", (संजू ने खिलखिलाते हुए कहा)
(मनु थोड़ा शर्मिन्दा,असहज हो गया था )
मनु- "भाई तू दूकान कैसे जाता है "
संजू- "स्कूटर से सोनीपत रेलवे स्टेशन जाता हूँ और वहां से सीधी ट्रैन है नए बाज़ार दूकान की
शाम को 7 वाली ट्रैन से घर वापस "
फिर आराम मारो
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है :) "
अब फिर संजू और मनु को मिले बरसों हो गए थे
अचानक ही COVID-19 की वजह से पूरे भारत में LOCKDOWN हो गया
LOCKDOWN के कुछ ही दिन बीतें होंगे की संजू ने फिर मनु को फोन किया
आमतौर पे मनु अब भी संजू का फोन नहीं उठता था पर
इन दिनों अपने व्यस्त जीवन से बिलकुल खाली, बोर था
फोन उठाते ही संजू की वही चहकती आवाज़-
"साले आज फोन उठा ही लिया तूने भाई का
और घर-परिवार कुशल-मंगल ?
मनु सकुचा गया-"हाँ भाई सब बढ़िया, तू बता "
मनु का इतना बोलना था की ....
संजू- "भाई अपना तो भयंकर अच्छे वाला टाइम कट रा है "
घर के सामने वाला प्लाट खाली पड़ा था तो उसमे एक बैडमिंटन कोर्ट बना लिया है
पूरे दिन सारा मोहल्ला वहां साथ में बैडमिंटन खेलता है
कभी चाय-पकोड़े , कभी रूहअफजा और शाम को तो भाई रोज़ दारु....
और भाई वज़न भी 5 किलो घटा लिया 1 महीने में ,बस अब 2 किलो और घटाना है
सब्जियां तो यहाँ सारे घर में ही उगाते है तो आपस में बाटर कर लेते हैं
थोड़ी दूर पे ही एक किसान अपने खेत पे भैस पालता था
पहले तो साला बहुत नखरे करता था
ज्यादा रेट माँगता था तो हम दूध नहीं लेते थे
पर साले के ग्राहक दूर थे तो
अब साला मिन्नत करके रोज़ हमारे भाव पे ,दोनों टाइम हाथ जोड़कर दूध देकर जाता है "
बढ़िया खा रहें हैं
पी रहें हैं
ज़िन्दगी मज़े से कट रही है
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है "
मनु का मुँह खुला का खुला रह गया
कहाँ वो दिल्ली शहर की एक पॉश कॉलोनी में रहते हुए
सारा दिन बस नकारात्मक बातें सोचता रहता है के
दुनिया ख़त्म हो गयी है
कुछ नहीं बचा
क्या होगा ?
कैसे होगा ?
और ये संजू.....
इतना सकारात्मक....
इतना खुश कैसे ....
उसके कानों में बार-बार बस संजू के शब्द गूँज रहे थे
"और क्या चाहिए भाई जीने के लिए
सब कुछ तो है "
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