Tuesday, June 2, 2020

वो चुड़ैल,-10

"तड़ाक "

वो चांटा इतना जानदार था की
लड़खड़ा के एक कदम पीछे हट गया था अरुण
वो बस गिरते-गिरते ही बचा था
हतप्रत सा वो सामने खड़ी नीना को
हैरानी भरी निगाहों से देख रहा था
नीना साक्षात चण्डी का स्वरूप लग रही थी
उसकी आँखों से जैसे अंगारे निकल रहें हों
और लग रहा था की जैसे उसका पूरा शरीर
किसी तूफ़ान में जल रहा हो
एक-दो पल के बाद जैसे ही अरुण की चेतना जागी
उसने देखा के जैसे पूरा कॉलेज ही वहां एकत्रित है
अरुण के सारे दोस्त, क्लास मैट्स ,
नीना के सारे दोस्त
और दुसरे सीनियर्स भी

अरुण थोड़ा संभल के नीना के पास तक आया
और फुसफुसा के बोला

"ये क्या बदतमीज़ी है नीना "

"बदतमीज़ी "- नीना चीखी थी

"तड़ाक "

ये दूसरा तमाचा पहले से ज्यादा जोरदार था 
इतना जोरदार के
अरुण अब गिर गया था
उसके गाल पे नीना की पाँचों उंगलियां छप गयी थी
लकीरें उभर आईं थीं
उन लकीरों पे उभरा खून साफ़ दिख रहा था

"साले चीपड़ क्या कहा तूने 
अपने इन कमीने दोस्तों से
(नीना ने अरुण के दोस्तों की ओर उंगली करते हुए बोलै ) 
अब सब के सामने बोल 

साले उलटा तूने मेरे साथ बदतमीज़ी की थी 
मैंने तुझे बच्चा समझ के माफ़ कर किया था 

और तू अपने दोस्तों को बोलता है
के मैं तेरे पीछे पडी थी 

साले गटर की कीड़े "

अब सब के सामने बोल 
क्या सच है 
बोल साले 
वरना यहीं जान से मार दूंगी "

उस क्षण नीना की आवाज़ में
उसकी शख्सियत में
जाने क्या क़यामत थी
के उन दो चांटों के बाद
अरुण तो बिलकुल ही टूट गया था
वो बुरी रोते हुए अपने दोस्तों की तरफ देख के
बस इतना ही बोल पाया

"मैंने जो भी बोला था सब झूठ था
नीना सच कह रही है "

ये कहकर अरुण ने अपना सर झुका लिया था

अब नीना अरुण के दोस्तों की और मुखातिब हुयी -

"सालों तुम सब भी अपनी औकात में रहो
आज के बाद तुम में से किसी ने 
कॉलेज किसी भी लड़की के बारे में 
कोई भी चीप बात की....
इसे देख रहे हो ना 
(नीना ने अरुण की तरफ उंगली की थी )

सालों जान से मार दूंगी  "

और फिर अरुण के फ़्रेशी दोस्तों की ओर
अपनी अंगारों वाली आँखों से देखते हुए
नीना वहां से चली गयी।  

No comments:

Post a Comment