Monday, June 1, 2020

वो चुड़ैल,-7

"साले फ़्रेशी तेरी इतनी हिम्मत 
  सीनियर लड़की पे लाइन मारेगा तू 
  साले अपनी औकात देख
  तेरे बाप रोनी की GF है वो 
  अभी तो रोनी बाहर गया हुआ है 
  साले जब आएगा ना तो तू 
  तू तो गया साले 
  तू गया ........  "
आदि चीख के अरुण से बोला था 

आज सुबह अरुण जैसे ही कॉलेज के बस स्टैंड पे उतरा 
उसे आदि मिल गया 
आदि और तीन दूसरे लड़के अरुण को वही से पकड़ कर 
कॉलेज के पीछे वाले सुनसान जंगल में ले गए 
उसे 3 -4  थप्पड़ मारे 
और फिर ये वार्निंग देकर वहीँ छोड़ दिया 
कुछ देर अरुण चुपचाप वहीँ बैठा रहा 
सोचता रहा 
उसकी शर्ट फट गयी थी
पिटाई की वजह से उसका चेहरा भी लाल हो गया था  
तो कॉलेज जाने की बजाये वो वापिस घर आ गया 
अपने कमरे में पड़े-पड़े वो दुनिया जहां की बातें सोच रहा था 
नीना, रोनी, आदि और उसके वो दोस्त ....... 
ये सब सोचते-सोचते कब वो सो गया उसे पता नहीं चला 
जब आँख खुली तो पूरा शरीर गर्म था 
तेज़ बुखार था उसे 
सुबह से कुछ खाया भी नहीं था उसने 
पर आज खुद खाना बनाने की उसकी बिलकुल हिम्मत नहीं हो रही थी 
तो बस रूम में ही ब्रेड-जैम और चाय बनाई 
और खाकर वो फिर सो गया 
सुबह आँख खुली तो सूरज सर तक चढ़ आया था 
बुखार अब भी था 
तो वो जबरदस्ती उठा और पड़ोस के डॉक्टर साहब को दिखा आया 
रास्ते से दवाइयाँ और कुछ खाने-पीने का सामान भी ले आया 
अगले 4 दिन बस ऐसा ही चला 

अरुण के कॉलेज गेट में घुसते ही नीना दौड़ के उसके पास आयी 
आज वो काफी संजीदा लग रही थी 
"क्या हुआ था अरुण ?
उसके स्वर में चिंता थी 
"कुछ नहीं "- अरुण बोला 
"देख अरुण छुपा मत ,मुझे सब पता चला "- नीना 
"जब पता है तो आप पूछ क्यों रही हो 
 "आपके आदि और उसके दोस्तों ने मारा मुझे"  - अरुण लगभग रोते हुए चिल्लाया था 
"तू चल मेरे साथ "
नीना ने अरुण को बाँह से पकड़ा और खींचती हुयी कैंटीन में ले गयी 
आदि और उसके दोस्त वहीं बैठे कोला पी रहे थे 
नीना ने आदि के हाथ से कोला की बोतल छीनी 
और सारी कोला आदि के मुँह पर उड़ेलते हुए चीखी थी 
" हाउ डेअर यू टच हिम ?  "
नीना बहुत ही गुस्से में आदि को देख रही थी 
उसकी आँखों से जैसे आग निकल रही हो 
"यू डोंट नो नीना वाट ही वास् ट्राइंग तो डू विथ यू ? "
आदि मिमिआया था 
( अरुण ने देखा क्या बात है इस चुड़ैल में 
कहाँ ये पांच फ़ीट की लड़की और कहाँ ये छह फ़ीट का बॉडीबिल्डर आदि
फिर भी ......  
अरुण को लगा नीना ने अब आदि को थप्पड़ मारा 
के तब मारा 
पूरा कैंटीन सब कुछ छोड़कर सांस रोके बस यही फिल्म देख रहा था )

" कौन  है तू 
   बाप है मेरा
   बोल    
   पहले तो अरुण कभी ऐसा कुछ गलत कर नहीं सकता 
   और कुछ होगा तो वो मेरे और उसके बीच का मामला है 
   साले तू कौन खामखा "
"आज के बाद कभी आँख भी उठाकर इसकी और देखा ना 
  आँखें नोच लूंगी "
गुस्से में बुरी तरह चीख़ी थी वो 

फिर जैसे आंधी की तरह वो कैंटीन के अंदर आयी थी 
वैसे ही तूफ़ान की तरह बाहर की ओर तेज़ क़दमों से बढ़ चली 

अरुण, आदि, कैंटीन में मौजूद बाकी सारे लड़के-लड़कियां अब भी वहीँ बुत बने खड़े थे
अचानक अरुण को अपने साथ आता ना देख वो पलटी 

"हे फ़्रेशी , अब क्या इस भीम से राखी बंधवानी है तूने 
 अब आजा "- 
अबकी बार अरुण को देखकर चीखी थी वो 

अरुण सहम सा गया और 
लगभग भागता सा नीना के पास पहुंचा 
और फिर दोनों कैंटीन से बाहर निकल गए 
बाहर निकलते-निकलते अरुण ने देखा, सुना 
कुछ लोग जोर-जोर हॅंस रहे थे 
कुछ तालियाँ बजा रहे थे 
कुछ सीटी भी मार रहे थे 
बस एक चीज़ कॉमन थी 
सब की आँखों में नीना के लिए इज़्ज़त थी 

"साला ये कुछ तो ख़ास बात है इस चुड़ैल में "
ये सोचता हुआ अरुण नीना के पीछे-पीछे पार्किंग तक आ गया 


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