Tuesday, June 2, 2020

वो चुड़ैल,-13

"आप मुझसे भाग क्यों रहे हैं  ? "

लीना अचानक से बस स्टॉप पर अरुण के सामने आकर खड़ी हो गयी थी

"मैं ..
  मैं ...
नहीं तो.... "
"मैं क्यों भागूंगा आपसे "
अरुण सकपकाते हुए बोला था

"नहीं आप भाग रहे हैं "
"उस दिन फ्रेशेर पार्टी में मैं जब कैंटीन में थैंक यू बोलने आयी
आप बिना अपना नाम बताये निकल गए "
"3 - 4  दिन पहले मैंने आपको पार्किंग एरिया में आवाज़ दी थी "
"आपने देखा था मुझे ,आप फिर जल्दी से किसी बाइक पे बैठ के चले गए थे "
"आपका मुझसे प्रॉब्लम क्या है आखिर ?  "
वो बड़ी प्यारी मुस्कान के साथ बोली थी

अब अरुण क्या बताता के उसका प्रॉब्लम क्या है
वो तो बस खिसिआनी हँसी हँसता हुआ बोला था
"देखिये मेरा नाम अरुण झा है और मैं ....."

लीना अरुण की बात बीच में ही काटते हुए बोली थी
"अब तो मैंने भी मालूम कर लिया है की आप क्या हैं "

अरुण ने सोचा-
" अरे बाप रे इसे क्या मेरी चॉप्सी की पूरी स्टोरी पता चल गयी क्या ?? "

अरुण फिर कुछ बोलता
इससे पहले ही लीना खुद ही फिर बोल पडी
"आप अरुण हैं
सेकंड ईयर में है
आप कॉलेज टोपर है
और ....   "

 इस बार अरुण ने लीना को बीच में ही रोकते हुए बोला
"देवी जी
देवी जी सुनिए
अगर अब आपको मेरी पूरी जन्मपत्री पता चल गयी हो
तो मैं चलूँ
आपकी बातचीत में मेरी दो बस जा चुकी हैं "

वो चहक के बोली-
"अरे तो मैं आपको घर छोड़ती हूँ ना अपनी गाड़ी में "

"गाड़ी" सुनते ही अरुण को
नीना.... ,
नीना की वो गाड़ी......
और सारे वाक्या की मूवी फिर अरुण की आँखों के सामने चलने लगी
अब उसने तो आव देखा ना ताव
पहली बस जो भी आई
वो तो जल्दी से उसमे ही चढ़ गया
उसने तो बस इतना ही सोचा

"भाई निकल ले बस पतली गली से "
पीछे से लीना आवाज़ देती रह गयी थी
"अरुण जी सुनिए "

अगले दिन अरुण अपने दोस्तों के साथ
कॉलेज गार्डन में बैठा था तो देखा
एक पुलिस जिप्सी कॉलेज गेट से अंदर आकर रुकी
उसमे से लीना उतरी
पुलिस जिप्सी के अंदर बैठे किसी व्यक्ति को उसने वेव किया
और फिर गार्डन में अरुण की तरफ ही बढ़ आयी
पास आकर खुद ही बोली थी
"आज गाड़ी खराब हो गयी थी ना तो
पापा छोड़ने आये थे
पापा हुडसन लेन थाने में इंस्पेक्टर है ना "

अरुण ने आज महसूस किया की
अरुण के साथ इतना बड़ा हंगामा होने के बाद भी
नीना ने कभी भी अरुण को ये नहीं जताया था की
नीना के पापा पुलिस में है
और की वो अरुण के साथ क्या-क्या कर सकती है

कही ना कहीं अरुण के दिल ही दिल में
इज़्ज़त बढ़ गयी थी उस चुड़ैल नीना के लिए

"अब कहाँ खो गए आप "
लीना खुशामदी अंदाज़ में बोली थी
"अरुण, आप मुझे आपके पिछले साल के सारे नोट दे पायेंगे "
"मुझे बहुत हेल्प हो जायेगी "

"ओके , 2 -3 दिन में दे दूँ
चलेगा ?"  - अरुण

लीना बोली- " चलेगा नहीं दौड़ेगा "
उसकी इस बात पर फिर दोनों हॅंस पड़े थे

कॉफ़ी पिलायेंगे ? - नीना ने कहा
"जो आज्ञा , चलिए "
अरुण ने थोड़ा झुक कर कहा था

दोनों हँसते हुए कॉलेज कैंटीन की ओर चल पड़े

एक और नयी दोस्ती की शुरुआत हो गयी थी








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