तेरा व्यक्तित्व ..अथाह सागर
बच्चों सा निश्चल मन
युवती सा सुंदर तन
योगी सी गम्भीर
बालक सी अधीर
आवाज़ ज्यूँ मधुर साज
ना अभिमान ना नाज़
झरने सी कल-कल हँसी
मन शांत जैसे कोई निर्मल नदी
आत्मा ईश्वर
आवाज़ सुमधुर
शब्दकोष कम पड़ जाते है
कर नहीं पाते तुझको निरूपित
मेरे शब्दों की थाह..गागर
तेरा व्यक्तित्व ..अथाह सागर।
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