Saturday, June 6, 2020

तेरा व्यक्तित्व ..अथाह सागर


बच्चों सा निश्चल मन
युवती सा सुंदर तन
योगी सी गम्भीर
बालक सी अधीर
आवाज़ ज्यूँ मधुर साज
ना अभिमान ना नाज़
झरने सी कल-कल हँसी
मन शांत जैसे कोई निर्मल नदी
आत्मा ईश्वर 
आवाज़ सुमधुर

शब्दकोष कम पड़ जाते है 
कर नहीं पाते तुझको निरूपित  
मेरे शब्दों की थाह..गागर
तेरा व्यक्तित्व ..अथाह सागर।

No comments:

Post a Comment