( मैं ये आपको पहले ही बता दूँ की इस कहानी का सेटअप यानि समयकाल
मेरी ही तरह ,70s में पैदा होने वाले लोगों पर आधारित है।
तो अगर आप 70 s से पहले या बाद में पैदा हुए है
तो शायद रिलेट ना कर पाए.
ऐसे में कृपया बेवजह क्रिटिकल ना हों
और बस कहानी का मज़ा लें :) )
अर्पिता भी गौरव के स्कूल में ही पढ़ती थी
स्कूल की सबसे ख़ूबसूरत लड़की थी वो
अर्पिता लड़कियों की उस प्रजाति को रिप्रेजेंट करती थी ,
जिसके पीछे स्कूल और कॉलेज में लड़के आपस में लड़ते है
हर लड़का ,
फिर चाहे वो खुद कैसा भी हो ,
इनके बारे में कुछ ना कुछ जरूर कहता है
जिन लड़कों की अर्पिता से दोस्ती हो जाती है,
वो अपने सारे इनर सर्किल में यही कहते है की
अर्पिता उनकी गर्लफ्रेंड है
जिनकी केवल कैसुअल ही बातचीत हो पाती है,
वो अपने दोस्तों में कहते हैं की अर्पिता उसकी गहरी दोस्त है ,
( मतलब गर्लफ्रेंड बनने से बस एक कदम पहले वाली स्टेज )
जो अपने किसी काम्प्लेक्स की वजह से अर्पिता से बात तक नहीं कर पाते ,
वो कहते है -
" यार ये तो बस शक्ल की ख़ूबसूरत है ,
दिल से तो बिलकुल ईविल है
मैं तो इससे दूर ही भला "
पर सबसे गजब तो वो लड़के होते हैं ,
जो कभी कॉंफिडेंट लड़कियों की "ना " सुन ही नहीं पाते
लड़कियों का उनके साथ बराबरी से बात करना
या यूं कहें की
बल्कि लड़कों से भी एक-आध इंच और ऊपर होकर बात करना
बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाते,
तो
वो लड़के ऐसी अर्पिता लड़कियों को कहते है
"चालू" :)
ये अर्पिता लड़कियां इस सब से बेफिक्र बिंदास
बस अपनी ज़िंदगी जिए जाती हैं
अपने मनमुताबिक
अपनी शर्तों पे
बिना किसी लाग-लपेट के
उनको जिससे बात करनी होती है,करतीं है
जिससे नहीं करनी होती ,नहीं करती
बदतमीज़ी करने वालों को जम के सब के सामने लताड़ती भी है
जिससे फ्रेंडशिप करने का मन होता है ,
खुले में कह कर करतीं है
और जब कोई रिलेशन ख़त्म करना होता है तो
ठीक से साफ़-साफ़ ख़त्म करके ,
आगे बढ़ जाती है
शायद फिर किसी और रिश्ते में
चाहे फिर वो 2 -4 दिन में ही क्यों ना हो जाए
लोग क्या कहेंगे की इन्हे कभी ज्यादा परवाह नहीं होती
ना वो किसी रिलेशन के एन्ड होने पे ये महीनों उदास गाने सुनती है
और ना ही कोई नाटकीय ब्लेम गेम करती हैं
यूँ कहे तो काफी प्रैक्टिकल अप्रोच रखती है
ये ज़िंदगी के बारे में
इस कहानी की अर्पिता भी बिलकुल ऐसी ही थी
वो गौरव की जिंदगी में बार-बार आती रही थी
और गौरव की ज़िंदगी को जीवंत करती रही थी
स्कूल में तो गौरव इतना लो-कॉंफिडेंट था की
वो कभी अर्पिता से बात ही नहीं कर पाया
उस समय अर्पिता के बारे में स्कूल में लड़कों के बीच रोज़ ही बातें होती थी
उसके बारे में पल-पल की खबर फैली-फैलाई जाती थी
आज कैसी दिख रही है
वो आजकल किसको डेट कर रही है
अब उसका ब्रेकअप हुआ
अब ये उसका बॉयफ्रेंड है
ऐसे अनेक दावे अनेक लड़के समय-समय पे करते रहते थे
और कई लड़के जो कभी उससे बात भी नहीं कर पाते थे
वो बिना नागा रोज उसके पीछे जाकर ,
उसे घर तक छोड़ के आते थे
हाइप तो तब हुयी
जब अर्पिता का एक सो कॉल्ड एक्स बॉयफ्रेंड फेल हो गया
तो इसका ठीकरा भी फूटा अर्पिता के सर पे
के अर्पिता के प्यार में
बेचारा आशीष फेल हो गया :)
वैसे गौरव अर्पिता के पीछे घर तक तो कभी नहीं गया था
पर हाँ अक्सर शाम को वो और उसके दोस्त
अर्पिता के फ्लैट के करीब-करीब नीचे वाले
चौमिन सेण्टर पे जरूर जाया करते थे
हाथ वाला काँटा चौमिन में
और नज़रों का काँटा अर्पिता की बालकनी पे
ख्वाइश एक ही
शायद कहीं वो बालकनी में दिख जाए
जन्माष्टमी ,जागरण का चन्दा लेने भी
अर्पिता के घर जरूर जाया जाता
खवाइश फिर वही
अर्पिता को उसके घर वाले अवतार में देखने भर की
स्कूल ख़त्म हुआ तो
अर्पिता के किस्से को कुछ विराम मिला
पर ठीक 3 साल बाद कॉलेज में गौरव और अर्पिता
दोनों फिरसे आमने-सामने थे
गौरव ने तो सब लड़कों को सगर्व बता दिया था की
अर्पिता उसकी स्कूल मेट थी
पर गौरव का दुर्भाग्य की अर्पिता ने उसे "हाय" भी नहीं किया था
अब उसने गौरव को स्कूल में कभी नोटिस ही नहीं किया था
या जानबूझ कर कॉलेज में इग्नोर कर रही थी
ये तो मालूम नहीं
खैर जब दोनों सेम कॉलेज में थे तो जान-पहचान तो होनी थी
तो हो गयी
यहाँ भी वही
अर्पिता तो बिंदास अपने एक सीनियर के साथ डेटिंग में थी
और गौरव बाबू ने प्रोपोज़ किया अर्पिता की ही फ्रेंड नाज़ को
और रिजेक्ट हो गया
तो गौरव जे ने अपने मन में और दोस्तों के ग्रुप में
अपने रिजेक्ट हो जाने का ठीकरा भी फोड़ा अर्पिता के सर पे-
"के भाई इस अर्पिता ने ही नाज़ को मेरे बारे में
जरूर कुछ ना कुछ उल्टा-सीधा बोला होगा
वर्ना मैं तो रिजेक्ट हो ही नहीं सकता "
खैर ऐसे ही कुछ कुछ खट्टे-खट्टे अंगूर यानि की साल निकल गए
कॉलेज ख़त्म हो गया
सब कर्रिएर, शादी, फिर बच्चों के दौड़ में थे
गौरव को खबर मिली की
अर्पिता की उसी कॉलेज सीनियर डेटिंग वाले स्टड से सगाई हो गयी है
फिर कुछ दिन बाद खबर मिली की सगाई टूट गयी है
फिर कुछ दिन बाद एक और खबर मिली की अर्पिता की शादी हो गयी
वो भी एक बहुत अमीर अमदावाद के इंडस्ट्रिलिस्ट के साथ
गौरव चकरा गया था
यार ये लड़की है के क्या है
ये तो शताब्दी से भी तेज़ दौड़ती है
वो भी जिंदगी की रेल पे
एक स्टेशन ठीक से छोड़ा नहीं और दूसरे स्टेशन की और दौड़ पडी
गौरव को याद आयी
अर्पिता की कॉलेज में कही हुयी एक बात
उस बात को कॉलेज में जिस भी लड़के-लड़की ने सुना था
अर्पिता को "चालू" घोषित कर दिया था
अर्पिता ने कहा था -
"देखो यार ये प्यार-व्यार सब ठीक है
कॉलेज तक अच्छा लगता है
पर शादी उससे करूंगी
जो अमीर होगा,
पर दिखने में मुझसे 18 होगा :)
(सबने पुछा ता ये दिखने में 18 क्यों ?
वो बोली थी-
यार अगर मुझसे ज्यादा हैंडसम होगा ना
तो पूरी जिंदगी इधर-उधर मुँह .....:) )
यार देखो ,
आज तक मैंने एक मिडिल-क्लास लाइफ बिताई है
पूरी जिंदगी ऐसे ही थोड़ी बितानी है
तो पति तो अमीर होना ही चाहिए
और हाँ ,मैं उससे प्यार करती हूँ या नहीं
ये जरूरी नहीं
पर वो मुझसे पागलों की तरह प्यार करता हो
शादी करने के लिए ये बेहद जरूरी है "
गौरव और सारे ग्रुप ने उस समय सोचा था
यार ये लड़की कितनी चालू है
कितनी अनरोमांटिक ,
पैसे के पीछे भागने वाली
लालची,
मतलबी
और ना जाने क्या-क्या
पर आज वास्तविकता के धरातल पर आने के बाद
गौरव सोचता है
की यार कॉलेज में जिस समय वो खुद इतना बड़ा बुद्धू था
कुछ नहीं पता था उसे
जीवन और जीवन की कठोर हक़ीक़तों के बारे में
ये अर्पिता उसी समय में अपने आप में कितनी क्लियर थी
उसे ठीक-ठीक पता था की उसे लाइफ में क्या चाहिए
जब क्लियर थी तो लाइफ जो चोइसस उसे देती गयी
वो अपनी प्रायओरिटी से उसमे से चुनती गयी
आगे बढ़ती गयी
और आज खुश है अपनी लाइफ में
अर्पिता आज भी गौरव को
ऑन एंड ऑफ कहीं ना कहीं मिलती ही रहती है
हमेशा खुश दिखती है
कभी कोई रिग्रेट नहीं करती
वो अब भी वैसी ही है
जैसी पहले थी
बिलकुल "अर्पिता" .
मेरी ही तरह ,70s में पैदा होने वाले लोगों पर आधारित है।
तो अगर आप 70 s से पहले या बाद में पैदा हुए है
तो शायद रिलेट ना कर पाए.
ऐसे में कृपया बेवजह क्रिटिकल ना हों
और बस कहानी का मज़ा लें :) )
अर्पिता भी गौरव के स्कूल में ही पढ़ती थी
स्कूल की सबसे ख़ूबसूरत लड़की थी वो
अर्पिता लड़कियों की उस प्रजाति को रिप्रेजेंट करती थी ,
जिसके पीछे स्कूल और कॉलेज में लड़के आपस में लड़ते है
हर लड़का ,
फिर चाहे वो खुद कैसा भी हो ,
इनके बारे में कुछ ना कुछ जरूर कहता है
जिन लड़कों की अर्पिता से दोस्ती हो जाती है,
वो अपने सारे इनर सर्किल में यही कहते है की
अर्पिता उनकी गर्लफ्रेंड है
जिनकी केवल कैसुअल ही बातचीत हो पाती है,
वो अपने दोस्तों में कहते हैं की अर्पिता उसकी गहरी दोस्त है ,
( मतलब गर्लफ्रेंड बनने से बस एक कदम पहले वाली स्टेज )
जो अपने किसी काम्प्लेक्स की वजह से अर्पिता से बात तक नहीं कर पाते ,
वो कहते है -
" यार ये तो बस शक्ल की ख़ूबसूरत है ,
दिल से तो बिलकुल ईविल है
मैं तो इससे दूर ही भला "
पर सबसे गजब तो वो लड़के होते हैं ,
जो कभी कॉंफिडेंट लड़कियों की "ना " सुन ही नहीं पाते
लड़कियों का उनके साथ बराबरी से बात करना
या यूं कहें की
बल्कि लड़कों से भी एक-आध इंच और ऊपर होकर बात करना
बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाते,
तो
वो लड़के ऐसी अर्पिता लड़कियों को कहते है
"चालू" :)
ये अर्पिता लड़कियां इस सब से बेफिक्र बिंदास
बस अपनी ज़िंदगी जिए जाती हैं
अपने मनमुताबिक
अपनी शर्तों पे
बिना किसी लाग-लपेट के
उनको जिससे बात करनी होती है,करतीं है
जिससे नहीं करनी होती ,नहीं करती
बदतमीज़ी करने वालों को जम के सब के सामने लताड़ती भी है
जिससे फ्रेंडशिप करने का मन होता है ,
खुले में कह कर करतीं है
और जब कोई रिलेशन ख़त्म करना होता है तो
ठीक से साफ़-साफ़ ख़त्म करके ,
आगे बढ़ जाती है
शायद फिर किसी और रिश्ते में
चाहे फिर वो 2 -4 दिन में ही क्यों ना हो जाए
लोग क्या कहेंगे की इन्हे कभी ज्यादा परवाह नहीं होती
ना वो किसी रिलेशन के एन्ड होने पे ये महीनों उदास गाने सुनती है
और ना ही कोई नाटकीय ब्लेम गेम करती हैं
यूँ कहे तो काफी प्रैक्टिकल अप्रोच रखती है
ये ज़िंदगी के बारे में
इस कहानी की अर्पिता भी बिलकुल ऐसी ही थी
वो गौरव की जिंदगी में बार-बार आती रही थी
और गौरव की ज़िंदगी को जीवंत करती रही थी
स्कूल में तो गौरव इतना लो-कॉंफिडेंट था की
वो कभी अर्पिता से बात ही नहीं कर पाया
उस समय अर्पिता के बारे में स्कूल में लड़कों के बीच रोज़ ही बातें होती थी
उसके बारे में पल-पल की खबर फैली-फैलाई जाती थी
आज कैसी दिख रही है
वो आजकल किसको डेट कर रही है
अब उसका ब्रेकअप हुआ
अब ये उसका बॉयफ्रेंड है
ऐसे अनेक दावे अनेक लड़के समय-समय पे करते रहते थे
और कई लड़के जो कभी उससे बात भी नहीं कर पाते थे
वो बिना नागा रोज उसके पीछे जाकर ,
उसे घर तक छोड़ के आते थे
हाइप तो तब हुयी
जब अर्पिता का एक सो कॉल्ड एक्स बॉयफ्रेंड फेल हो गया
तो इसका ठीकरा भी फूटा अर्पिता के सर पे
के अर्पिता के प्यार में
बेचारा आशीष फेल हो गया :)
वैसे गौरव अर्पिता के पीछे घर तक तो कभी नहीं गया था
पर हाँ अक्सर शाम को वो और उसके दोस्त
अर्पिता के फ्लैट के करीब-करीब नीचे वाले
चौमिन सेण्टर पे जरूर जाया करते थे
हाथ वाला काँटा चौमिन में
और नज़रों का काँटा अर्पिता की बालकनी पे
ख्वाइश एक ही
शायद कहीं वो बालकनी में दिख जाए
जन्माष्टमी ,जागरण का चन्दा लेने भी
अर्पिता के घर जरूर जाया जाता
खवाइश फिर वही
अर्पिता को उसके घर वाले अवतार में देखने भर की
स्कूल ख़त्म हुआ तो
अर्पिता के किस्से को कुछ विराम मिला
पर ठीक 3 साल बाद कॉलेज में गौरव और अर्पिता
दोनों फिरसे आमने-सामने थे
गौरव ने तो सब लड़कों को सगर्व बता दिया था की
अर्पिता उसकी स्कूल मेट थी
पर गौरव का दुर्भाग्य की अर्पिता ने उसे "हाय" भी नहीं किया था
अब उसने गौरव को स्कूल में कभी नोटिस ही नहीं किया था
या जानबूझ कर कॉलेज में इग्नोर कर रही थी
ये तो मालूम नहीं
खैर जब दोनों सेम कॉलेज में थे तो जान-पहचान तो होनी थी
तो हो गयी
यहाँ भी वही
अर्पिता तो बिंदास अपने एक सीनियर के साथ डेटिंग में थी
और गौरव बाबू ने प्रोपोज़ किया अर्पिता की ही फ्रेंड नाज़ को
और रिजेक्ट हो गया
तो गौरव जे ने अपने मन में और दोस्तों के ग्रुप में
अपने रिजेक्ट हो जाने का ठीकरा भी फोड़ा अर्पिता के सर पे-
"के भाई इस अर्पिता ने ही नाज़ को मेरे बारे में
जरूर कुछ ना कुछ उल्टा-सीधा बोला होगा
वर्ना मैं तो रिजेक्ट हो ही नहीं सकता "
खैर ऐसे ही कुछ कुछ खट्टे-खट्टे अंगूर यानि की साल निकल गए
कॉलेज ख़त्म हो गया
सब कर्रिएर, शादी, फिर बच्चों के दौड़ में थे
गौरव को खबर मिली की
अर्पिता की उसी कॉलेज सीनियर डेटिंग वाले स्टड से सगाई हो गयी है
फिर कुछ दिन बाद खबर मिली की सगाई टूट गयी है
फिर कुछ दिन बाद एक और खबर मिली की अर्पिता की शादी हो गयी
वो भी एक बहुत अमीर अमदावाद के इंडस्ट्रिलिस्ट के साथ
गौरव चकरा गया था
यार ये लड़की है के क्या है
ये तो शताब्दी से भी तेज़ दौड़ती है
वो भी जिंदगी की रेल पे
एक स्टेशन ठीक से छोड़ा नहीं और दूसरे स्टेशन की और दौड़ पडी
गौरव को याद आयी
अर्पिता की कॉलेज में कही हुयी एक बात
उस बात को कॉलेज में जिस भी लड़के-लड़की ने सुना था
अर्पिता को "चालू" घोषित कर दिया था
अर्पिता ने कहा था -
"देखो यार ये प्यार-व्यार सब ठीक है
कॉलेज तक अच्छा लगता है
पर शादी उससे करूंगी
जो अमीर होगा,
पर दिखने में मुझसे 18 होगा :)
(सबने पुछा ता ये दिखने में 18 क्यों ?
वो बोली थी-
यार अगर मुझसे ज्यादा हैंडसम होगा ना
तो पूरी जिंदगी इधर-उधर मुँह .....:) )
यार देखो ,
आज तक मैंने एक मिडिल-क्लास लाइफ बिताई है
पूरी जिंदगी ऐसे ही थोड़ी बितानी है
तो पति तो अमीर होना ही चाहिए
और हाँ ,मैं उससे प्यार करती हूँ या नहीं
ये जरूरी नहीं
पर वो मुझसे पागलों की तरह प्यार करता हो
शादी करने के लिए ये बेहद जरूरी है "
गौरव और सारे ग्रुप ने उस समय सोचा था
यार ये लड़की कितनी चालू है
कितनी अनरोमांटिक ,
पैसे के पीछे भागने वाली
लालची,
मतलबी
और ना जाने क्या-क्या
पर आज वास्तविकता के धरातल पर आने के बाद
गौरव सोचता है
की यार कॉलेज में जिस समय वो खुद इतना बड़ा बुद्धू था
कुछ नहीं पता था उसे
जीवन और जीवन की कठोर हक़ीक़तों के बारे में
ये अर्पिता उसी समय में अपने आप में कितनी क्लियर थी
उसे ठीक-ठीक पता था की उसे लाइफ में क्या चाहिए
जब क्लियर थी तो लाइफ जो चोइसस उसे देती गयी
वो अपनी प्रायओरिटी से उसमे से चुनती गयी
आगे बढ़ती गयी
और आज खुश है अपनी लाइफ में
अर्पिता आज भी गौरव को
ऑन एंड ऑफ कहीं ना कहीं मिलती ही रहती है
हमेशा खुश दिखती है
कभी कोई रिग्रेट नहीं करती
वो अब भी वैसी ही है
जैसी पहले थी
बिलकुल "अर्पिता" .
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