Monday, June 1, 2020

वो चुड़ैल,-8

"गाड़ी में बैठ" 
नीना बहुत गुस्से में दांत भीचती हुयी अरुण से बोली थी 
अरुण समझ नहीं पाया ये अचानक क्या बदलाव आया 
ये नीना उससे इतने गुस्से में क्यों बोल रही है 
वो कुछ सोच-समझ पाता ,
इससे पहले ही वो फिर बोल पडी थी 
" अब बैठेगा या लाफा खायेगा
    बैठ  "
नीना की आवाज़ में गुस्सा,दर्द,अपमान सब कुछ था 
डरा सा अरुण चुपचाप कार में बैठ गया 

पूरे रास्ते वो दोनों बिलकुल चुप थे
नीना का चेहरा गुस्से से तना हुआ था
वो ट्रैफिक पे झुंझलाती,गालियाँ देती
तेज़ हॉर्न बजाती लगातार कार चला रही थी
इधर अरुण मन ही मन हिसाब-किताब जोड़ रहा था के
क्या हुआ होगा ?
और क्यों ये चुड़ैल अचानक इतना बदल गयी है ?
कार विम्पी के सामने रुकी
"चल आजा "
वो सधे हुए शब्दों में बोली थी
अंदर विम्पी का पूरा ग्राउंड फ्लोर खाली था
पर वो फर्स्ट फ्लोर पे चढ़ रही थी
"नीचे भी खाली है तो नीचे ही .......  "
अरुण ने बोलने की कोशिश की थी
पर नीना ने जैसे ही आँखों के अंगारे दिखाए
अरुण धीरे धीरे उसके पीछे चलता हुआ ऊपर आ गया
अब वो दोनों सीढ़ियों से सबसे दूर वाली जगह पर आमने सामने बैठे थे
"अब बोल " - नीना बोली थे
"क्या बोलूँ " - अरुण अचरज से बोला
"ये आदि क्या कह रहा था ?
तू पिकनिक से वापसी में कार में
मेरे साथ क्या करने की कोशिश कर रहा था ?  "- वो बहुत शांत स्वर में बोली थी
अरुण को काटो तो खून नहीं
उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था की वो कार वाला सीन ......
उसने चुपचाप बस सर झुका लिया
कुछ नहीं बोला
नीना ने ही शांत स्वर में बोलना शुरू किया -
"पता है तुम जैसे लड़कों का प्रॉब्लम क्या है ?
तुम साले पैदा तो बीसवीं सदी में हो गए हो 
पर सोच ... तुम्हारी सोच साली आज भी वही सोलवी सदी वाली 
घटिया वाली है 
मैंने तुझसे खुद बात क्या कर ली 
तेरे साथ डांस कर लिया 
तुझे हग कर लिया 
तेरे साथ बियर पी ली 
तुझे लगा 
भाई ये लड़की तो चालू है 
इसके साथ तो कुछ भी कर लो 
है ना ?
बोल ?
अबे अब चुप क्यों है बोल ?
वो गुस्से में जोर से मेज़ पे हाथ मारकर चिल्लाई थी

अरुण- " न न नहीं नीना जी , वो मैं ......... "

अपनी चोरी पकड़ी जाने पे बुरी तरह हड़बड़ाया था अरुण
उसे लगा जैसे उसका पूरा दिमाग पढ़ लिया था नीना ने
एक-एक शब्द वही , जो वो सोचता रहता था
वो नीना से नज़रें नहीं मिला रहा था

वो फिर बोली -
"लगा तो कुछ मुझे भी था गाड़ी में उस दिन
की कुछ तो गलत तू करने की कोशिश में है
पर मैंने खुद ही बेनिफिट ऑफ़ डाउट दिया
सोचा शायद मैं ही कुछ अज़्यूम कर रही हूँ "
"पर जब आदि ने भी कहा तो मैंने ठीक से सोचा
साले तेरे जैसे लड़के कभी किसी लड़की को रेस्पेक्ट दे ही नहीं सकते
अरे कभी तो शरीर के बीच वाले हिस्से से नहीं दिल से भी सोचा करो 
दोस्त समझ के तेरे कंधे पे सर रखा था
कितना विश्वास था मुझे
के तू औरों जैसा नहीं है
पर तू भी साले वही निकला ना "चीपड़ "
वो लगातार बोलने से हांफने लगी थी
वो रुकी , अपनी साथ लाई बोतल से एक घूँट पानी पीया
कुछ शांत हुयी तो
अब जैसे एक-एक शब्द को सोच-सोचकर
चबा-चबाकर बोल रही थी
"अगर मैं चाहूँ ना 
तो तेरी पुलिस कंप्लेंट कर दूँ 
साले पिछवाड़ा लाल हो जाएगा तेरा "

फिर नीना कुछ पल यूहीं शांत बैठी रही
जैसे खुद को ही पाने की कोशिश में हो
अरुण लगातार नीचे सर झुकाये बैठा रहा
फिर वो धीरे से उठी ,
अपनी पानी की बोतल और गाड़ी की चाबी मेज़ से ली
और धीरे क़दमों से नीचे उतर गयी

अरुण देर तक उसी तरह सर झुकाये वहीँ बैठा रहा।

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