एक पल को मूँद लीजिये
इन नीमबाज़ आँखों को
इन शराब से भरे सांचों को
के कुछ तो होश आये
चाहे फिर एक पल को ही सही
ज़रा सांस तो आये
चाहे रुकी-रुकी सी ही सही
मैं तो बस आपकी ,
इन आँखों की शराब में डूबा जाता हूँ
लोग कहते हैं की रिन्द है, मयकश है
या खुदा मैं तो छूता भी नहीं,
सो हँसा जाता हूँ
कुछ तो रहम कीजे ,
एक पल को मूँद लीजिये
इन नीमबाज़ आँखों को
इन शराब से भरे सांचों को।
#मन7 #नीमबाज़ आँखें #हिंदी कविता
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