इन दिनों नीना बड़ी उलझन में थी
उसके दो दोस्त एक साथ मुश्किल में आ गए थे
जहाँ एक ओर नाज़ एक गलत लड़के को डेट कर रही थी
और नीना की बिलकुल भी सुनने के लिए तैयार नहीं थी
वही गौरव मायूस हो गया था
उसका आत्म-विश्वास खो गया था
गौरव पहले से ही एक काम्प्लेक्स में था
और अब ये रिजेक्शन उसके लुक्स की वजह से हुआ है तो वो
इस बात से वो और टूट रहा था
नीना हर भरसक प्रयास कर रही थी
गौरव को इस सदमे से उबारने का
पर कुछ ख़ास कर नहीं पा रही थी
इतने में अच्छा ये हुआ की
एक्साम्स की डेट्स आ गयी
सब पर पढ़ाई का प्रेशर आया तो
सब सीधे रास्ते पे आने लगे
पर गौरव अभी भी नार्मल नहीं हुआ था
नीना को लगा की ऐसे तो गौरव का साल खराब हो जाएगा
तो नीना ने नाज़ को रिक्वेस्ट किया की
वो एक बार गौरव से बात करके उसे कंसोल कर दे
या कुछ भी करे जिससे कम से कम
गौरव नार्मल तो हो जाए
नाज़ मान गयी
पर नाज़ की शर्त थी की मीटिंग में सुरेंदर भी साथ होगा
अनमने ही सही पर नीना को ये मानना पड़ा
और क्या रास्ता था उसके पास
तय समय पर गौरव,नीना,नाज़ और सुरेंदर कॉफ़ी हाउस में बैठे थे
अभी कोई कुछ बात शुरू कर भी नहीं पाया था की
एकाएक इन सब की कॉलेज सीनियर शिल्पी
धड़धडाती हुयी कैफ़े में दाखिल हुयी
वो सीधी इसी टेबल पे आकर जोर-जोर से सुरेंदर पे चिल्लाने लगी थी -
"कितनी गर्लफ्रेंड चाहिए तुझे ,
अब इसको सैट कर लिया
(वो नाज़ की और उंगली करके बोली थी )
तू मेरा फोन उठाता नहीं ,
बात करता नहीं ,
फोन करती हूँ तो बोलता है ,
पढ़ाई कर रहा हूँ ,
और यहाँ कॉफ़ी शॉप में बैठा है,
ये मुझसे ज्यादा सुंदर है क्या ?
(वो फिर से नाज़ की और उंगली करके बोली थी )
बोल ना ,
बोलता क्यों नहीं "
और ऐसी ही हज़ार उल-जुलूल बातें करके शिल्पी जैसे धड़धडाती
हुयी आयी थी
वैसे ही बाहर की और निकल गयी
सब अवाक ,हक्के-बक्के थे
नाज़ बुरी तरह रो रही थी
और सुरेंदर नाज़ को देखे बिना
तेज़ी से बाहर शिल्पी के पीछे भागा था
नीना भी बाहर भागी
और गेट पे खड़े-खड़े ही उसने देखा की
शिल्पी और सुरेंदर बाहर खड़े होकर भी
तेज़-तेज़ आवाज़ में कुछ बहस कर रहे हैं
और फिर सुरेंदर ने शिल्पी को अपनी बाइक पे बिठाया
और चला गया
कुछ देर नाज़ वहीं बैठे रोती रही
नीना ने उसे चुप कराने की बहुत कोशिश की
उसे लिफ्ट भी ऑफर की
नाज़ नहीं मानी
वो अकेले ही टैक्सी ले के चली गयी
कुछ देर वहीँ खामोश बैठने के बाद
अब नीना और गौरव भी घर के लिए चल दिए
नीना सोच रही थी -
"अच्छी मुसीबत है यार ये प्यार भी
अगर लव लाइफ ऐसी होती है
तो मैं तो अकेली ही ठीक हूँ "
उसके दो दोस्त एक साथ मुश्किल में आ गए थे
जहाँ एक ओर नाज़ एक गलत लड़के को डेट कर रही थी
और नीना की बिलकुल भी सुनने के लिए तैयार नहीं थी
वही गौरव मायूस हो गया था
उसका आत्म-विश्वास खो गया था
गौरव पहले से ही एक काम्प्लेक्स में था
और अब ये रिजेक्शन उसके लुक्स की वजह से हुआ है तो वो
इस बात से वो और टूट रहा था
नीना हर भरसक प्रयास कर रही थी
गौरव को इस सदमे से उबारने का
पर कुछ ख़ास कर नहीं पा रही थी
इतने में अच्छा ये हुआ की
एक्साम्स की डेट्स आ गयी
सब पर पढ़ाई का प्रेशर आया तो
सब सीधे रास्ते पे आने लगे
पर गौरव अभी भी नार्मल नहीं हुआ था
नीना को लगा की ऐसे तो गौरव का साल खराब हो जाएगा
तो नीना ने नाज़ को रिक्वेस्ट किया की
वो एक बार गौरव से बात करके उसे कंसोल कर दे
या कुछ भी करे जिससे कम से कम
गौरव नार्मल तो हो जाए
नाज़ मान गयी
पर नाज़ की शर्त थी की मीटिंग में सुरेंदर भी साथ होगा
अनमने ही सही पर नीना को ये मानना पड़ा
और क्या रास्ता था उसके पास
तय समय पर गौरव,नीना,नाज़ और सुरेंदर कॉफ़ी हाउस में बैठे थे
अभी कोई कुछ बात शुरू कर भी नहीं पाया था की
एकाएक इन सब की कॉलेज सीनियर शिल्पी
धड़धडाती हुयी कैफ़े में दाखिल हुयी
वो सीधी इसी टेबल पे आकर जोर-जोर से सुरेंदर पे चिल्लाने लगी थी -
"कितनी गर्लफ्रेंड चाहिए तुझे ,
अब इसको सैट कर लिया
(वो नाज़ की और उंगली करके बोली थी )
तू मेरा फोन उठाता नहीं ,
बात करता नहीं ,
फोन करती हूँ तो बोलता है ,
पढ़ाई कर रहा हूँ ,
और यहाँ कॉफ़ी शॉप में बैठा है,
ये मुझसे ज्यादा सुंदर है क्या ?
(वो फिर से नाज़ की और उंगली करके बोली थी )
बोल ना ,
बोलता क्यों नहीं "
और ऐसी ही हज़ार उल-जुलूल बातें करके शिल्पी जैसे धड़धडाती
हुयी आयी थी
वैसे ही बाहर की और निकल गयी
सब अवाक ,हक्के-बक्के थे
नाज़ बुरी तरह रो रही थी
और सुरेंदर नाज़ को देखे बिना
तेज़ी से बाहर शिल्पी के पीछे भागा था
नीना भी बाहर भागी
और गेट पे खड़े-खड़े ही उसने देखा की
शिल्पी और सुरेंदर बाहर खड़े होकर भी
तेज़-तेज़ आवाज़ में कुछ बहस कर रहे हैं
और फिर सुरेंदर ने शिल्पी को अपनी बाइक पे बिठाया
और चला गया
कुछ देर नाज़ वहीं बैठे रोती रही
नीना ने उसे चुप कराने की बहुत कोशिश की
उसे लिफ्ट भी ऑफर की
नाज़ नहीं मानी
वो अकेले ही टैक्सी ले के चली गयी
कुछ देर वहीँ खामोश बैठने के बाद
अब नीना और गौरव भी घर के लिए चल दिए
नीना सोच रही थी -
"अच्छी मुसीबत है यार ये प्यार भी
अगर लव लाइफ ऐसी होती है
तो मैं तो अकेली ही ठीक हूँ "
No comments:
Post a Comment