Sunday, June 21, 2020

विधवा ,( कहानी ), 5


"सरला कल रात का
माँ को मत बोलना "
अनुज सुबह नाश्ते की टेबल पे धीरे से सरला से बोला था
"नहीं कहूंगी "
"पर ये इतनी शराब पीना क्या.... ? "
सरला का इतना कहना था की अनुज ने गुस्से से सरला को बुरी तरह घूरा
वो शायद कुछ कहता भी पर उतने में ही शारदा जी वहां आ गयी
और अनुज के बाल सहलाते हुए बोली
"कल रात बहुत देर से आया रे तू "
"हाँ माँ वो देर हो गयी थी
आया तो देखा आप सो चुकी थी "
तबीयत तो ठीक थी ना आप की "
अनुज ने फटाफट बात बदली
"हाँ रे
अब तो मेरी तबीयत पहले से बहुत बेहतर रहती है
सरला बहुत ख़याल रखती है मेरा "
शारदा जी ने मुस्कुरा कर सरला को देखा
सरला की तारीफ सुनकर अनुज कुछ अचकचा सा गया
"चलो अच्छा है
आपको आराम मिल रहा है "
कहता हुआ अनुज कॉलेज के लिए निकल गया

कॉलेज में गार्डन में पीछे की तरफ
हमेशा की तरह बॉयज़ की बियर पार्टी विद डर्टी टॉक चल रही थी
सब लड़के बता रहे थे की
किसने कहाँ , कब  , कैसे
अपनी गर्ल फ्रेंड
या फिर ऐसे ही किसी रैंडम लड़की, महिला को पटाया
रिश्ता बनाया
फिर निपटाया
कोई दूर की रिश्तेदार थी
तो कोई पड़ोस की भाभी
तो कोई काम वाली बाई ही "
अनुज अक्सर इस तरह की टॉक में चुप ही रहता था
वो दिखने में साधारण सा और पढ़ाई में भी औसत दर्जे का था
कभी किसी लड़की से भी कोई नज़दीकी वाली दोस्ती भी कभी नहीं हुयी थी
उसने कई बार लड़कियों से ऐसी दोस्ती करने की कोशिश की थी
पर बात कभी शारीरिक रिश्ते तक नहीं पहुंच पायी थी
अचानक उसके पड़ोस में ही रहने वाला शेखर पूछ बैठा
"साले अनुज वो खूबसूरत लड़की कौन है जो तेरे घर रहने आयी है बे "
शेखर की बात सुनकर सब का ध्यान अब अनुज पे चला गया
और फिर सब अनुज से पूछने लगे
"बता ना भाई कौन है ? "
"अरे अनुज भाई तू तो सन्यासी है
भाई मेरी ही सेटिंग करा दे "
"बोल ना भाई "
अनुज के तनबदन में आग लग गयी
वो चिल्ला कर बोला
"सालों वो मेरी दूर की रिश्तेदार है
कज़न है मेरी
कुछ तो शर्म कर शेखर "
शेखर को काटो तो खून नहीं
 वो रुआंसा सा बोल पड़ा
"सॉरी भाई गलती हो गयी
पता नहीं था
माफ़ कर दे "
और सब लड़के भी झूठे-सच्चे को शेखर की लानत-मलानत करने लगे
और अनुज को बहलाने के लिए बोलने लगे
"छोड़ यार अनुज ये शेखर तो पागल है साला
ले तू बियर पी भाई "
बियर पीते हुए अनुज मन में खुश हो रहा था की
आज उसे भी इन सब पे चिल्लाने का मौक़ा मिला
जब शेखर ने भी सरला को देख कर खूबसूरत कहा है तो
मतलब सरला वाकई खूबसूरत लड़की है
आज उसे ऐसा लगने लगा की
उसके पास तो इतना अच्छा मौका है
"एक अनजान , बेसहारा विधवा को घर में सहारा दिया हुआ है 
उस पर इतना एहसान किया है
तो कुछ तो रिटर्न में उसे भी मिलना ही चाहिए  
इतना तो बनता ही है ना "

अब तो अनुज घर में जब-जब सरला को देखता
उसके मन में दोस्तों की वही कहानियाँ फिल्म बनकर चलने लगती
जिनमे लड़का वो खुद और लड़की की जगह उसे सरला दिखाई देती
अब सरला जब भी उसके कमरे में आती
और वो बाथरूम में होता तो वो जानबूझ कर टॉवल में ही रूम में आ जाता
और फिर वही कुछ ढूंढ़ने का बहाना करता , वहीं रुका रहता
कुछ सामान या नाश्ते की प्लेट लेते-देते
या आते-जाते
अब वो जान-बूझ कर सरला को छूता
पर सरला जैसे इन सब बातों से अनजान बस अपनी ही धुन में रहती
ना वो अनुज की तरफ देखती थी
और ना ही अनुज के छूने पर कोई भी अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया देती थी
बिलकुल निर्लिप्त हो जैसे

इधर अनुज के मन की आग धधकती जा रही थी
और एक रात .......

to be continue..

(writer-manoj gupta , manojgupta0707.blogspot.com )





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