Friday, June 12, 2020

"सात्विक-संयमित जीवनशैली" (MINIMALISM)


MINIMALISM 
शब्द का हिंदी में अर्थ तो मुझे अभी ठीक से मालूम नहीं है
पर अगर मैं अर्थ को शब्दों में बाँधने की कोशिश करूँ तो
इसका अर्थ हगा

एक ऐसी जीवनशैली जिसमे जीवन की खुशी 
ज्यादा पैसे,लम्बी कार,बहुत बड़ा मकान,लेटेस्ट मोबाइल फोन 
और बहुत सारी अन्य चीज़ों पर आश्रित नहीं होती 
क्योंकि खुशी चीज़ों में है ही नहीं
बल्कि लोगों के साथ में है 
मतलब  
"सात्विक-संयमित जीवनशैली"

आज हम नयी लेटेस्ट कार खरीद लाते है, तो बहुत खुश होते है
नया लेटेस्ट मोबाइल लाते हैं, तो हम फूले नहीं समाते  
और जैसे ही हमारा कोई पड़ोसी , मित्र या रिश्तेदार हमसे बेहतर कार या मोबाइल ले आता है 
या उसी कार या मोबाइल का नया/बेहतर वर्ज़न आ जाता है 
हम दुखी हो जाते है
आपको क्या लगता है
ये मोबाइल कंपनियां हर 2 -3 महीने में ही अपने प्रोडक्ट्स का नया वर्ज़न क्यों ले आती है 
या पिछले वर्ज़न को ऑउटडेट घोषित क्यों कर देती है ?

" बिना हमारी जरुरत के हमें एक और उत्पाद बेचने के लिए "

हम और बड़ा घर खरीदते हैं क्योंकि 
हमें ज्यादा और ज्यादा अलमारियां चाहिए ,
और ज्यादा जगह चाहिए 
क्यों ?
क्योंकि हर तीज-त्यौहार ,शादी ब्याह के मौसम में 
टीवी,मोबाइल,न्यूज़ पेपर,हर रास्ते पे लगा होर्डिंग 
हमें यही बताता है की

हमें और ,और कुछ,बहुत कुछ और खरीदना है

हमारी अलमारियाँ कपडे,जूते,जेवेलरी  और ना जाने किस-किस सामान से भरी पडी है 
शोरूम और ब्रांड्स की दो पर तीन फ्री टाइपो स्कीम्स हमें और प्यासा बनाती है 
और हम एक शर्ट या साड़ी खरीदने गए होते हैं
और ये स्कीम्स हमें तीन-चार खरीदवा देती है 
ये स्कीम्स बनायी ही जाती है मानव के मष्तिष्क को पढ़ कर 
जो आज AI (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) की मदद से सारे ब्रांड्स और कम्पनियाँ कर रही हैं 
उनकी पूरी कोशिश है की हमारी जेब का एक-एक रुपया निकलवा लिया जाये 
इतना ही नहीं क्रेडिट कार्ड और इन्सटॉलमेंट स्कीम्स के जरिये ये ब्रांड्स और कंपनियां 
हमारे आने वाले बीस-तीस वर्षों तक की कमाई को भी आज ही अपने नाम कर लेते है

" फिर उसी दिन के बाद से हम अपने लिए नहीं बल्कि 
   बैंक, इन ब्रांड्स और कंपनियों के लिए कमा रहे होते हैं "

एक-एक,दो-दो बार पहने हुए अनगिनत कपडे ,जूते और सामान हो सकते है 
हमारे घर की अलमारियों में

मेरे पापा अक्सर कहते थे की
" जिस वस्तु को आपने पिछले पूरे एक पूरे साल में यूज़ नहीं किया  , 
   99 % संभावना है की 
  आपको उस वस्तु की जीवन में कभी भी जरुरत नहीं पड़ेगी,
   वो वस्तु फ़ालतू है आपके लिए 
   अच्छा होगा आप उस वस्तु को बेच दो
   या 
   दान दे दो "

उनका मतलब था एक पूरे साल में सारे मौसमों के सीजन निकल गए 
सर्दी,गर्मी,बरसात ,जब पूरे साल में उस वस्तु की जरुरत नहीं पडी
तो अब भविष्य में भी कभी नहीं पड़ेगी 

बड़ा घर ,मतलब ज्यादा जगह ,मतलब ज्यादा कीमत ,ज्यादा बड़ा बैंक लोन, बड़ी मंथली इन्सटॉलमेंट,मतलब ज्यादा पैसे कमाने के लिए दिन-रात काम करो
और बड़ा घर तो ज्यादा साफ़-सफाई-मेन्टेन्स कॉस्ट , मतलब साफ़-सफाई करने वाले ज्यादा लोग , मतलब हमारी प्राइवेसी में ज्यादा लोगों की एंट्री , मतलब कई तरह की मुसीबतें , मतलब ज्यादा घर-खर्च- सैलरी, घर से कैश और छोटी चीज़ों की रोज़ाना चोरी,कहीं  घर के बच्चों का यौन-शोषण और कहीं बाल-मज़दूरी कराने से गरीब बच्चो का शोषण इत्यादी 

हम घर में बड़ी पार्किंग बनाते है
पर कार हमने बाहर रोड पर ही खड़ी करनी है
घर की बड़ी गाड़ियां जैसे BMW/ऑडी महीने में एक-दो बार ही चलती हैं 
क्योंकि ना उसे चलाने के लिए शहर में अच्छे रोड है और ना ही हमारी जेब में उसे चलाने लायक खर्चा 
इन कारों का एक बार का कार सर्विस का बिल ही लाख रूपये का आता है  

पुराने भारत में लोग 
"सादा जीवन उच्च विचार " 
के सिद्धांत पर जीवन जीते थे 
जो आज हम ये सब भूल गए है 
आज हमारे 
" खर्चे अनापशनाप , तो कमाने के अनापशनाप तरीके,
तो बच्चे और सारे घरवालों की अनापशनाप जीवनशैली,
तो अनापशनाप स्वास्थय और आदतें   
फिर मन के अनापशनाप भय और डर , तो अनापशनाप बीमारियाँ ,
तो फिर से हम वहीँ पहुंच गए वापिस वहीँ 
खर्चे अनापशनाप , तो कमाने के अनापशनाप तरीके "

मैंने आपको इस विषय का कुछ आईडिया देने की कोशिश की है 
बाकी आप नेटफ्लिक्स पर मूवी "MINIMALISM " देखो 
शायद जीवन की एक नयी राह मिल जाए 

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