"सरला बेटी ,
बेटी मुझे आज रात यहीं आश्रम में रुकना पड़ेगा
अरे वो गुरूजी आज पूरा दिन व्यस्त रहे
उनके दर्शन नहीं हो पाये
फिर आज रात यहां भजन संध्या भी है
अब ये सब साथ गयीं पड़ोसनें हैं ना
ये कह रहीं हैं की
सुबह गुरु जी के दर्शन करके ही वापिस लौटेंगें "
"ठीक है ना बेटी ? "
शारदा जी ने फोन पर सरला से कहा
" कोई बात नहीं माँ आप निश्चिन्त रहें
आप सुबह आराम से आ जाइये
और गुरूजी को मेरा भी प्रणाम कह देना माँ "
सरला ने इतना कहकर फोन रख दिया
और रात के खाने की तैयारी में जुट गयी
अक्सर तो वो रोज़ एक सब्जी माँ की पसंद की
और एक सब्जी अनुज की पसंद की बनाती थी
पर अब माँ नहीं थी तो
आज पूरा खाना ही अनुज की पसंद का ही बना दिया
अनुज को फोन किया तो पता चला की वो भी आज थोड़ा लेट आएगा
शायद आज सरला कुछ थकी थी तो
टीवी देखते-देखते कब उसकी आँख लग गयी
उसे होश ही नहीं रहा
उसकी आँख खुली घंटी की लगातार तेज़ आवाज़ से
सरला हड़बड़ा के भागी और जल्दी से दरवाज़ा खोला
ये अनुज ही था , झल्लाया सा बोला था
"कितनी देर से बैल बजा रहा हूँ "
"वो आँख लग गए थी "
"आपका खाना लगाऊँ ? "
सरला सकुचाते हुए बोली थी
"नहीं पहले दो गिलास एकदम चिल्ड ठंडा पानी दे दो "
और हाँ खाने में क्या है ? -अनुज बोला
"जी मंचूरियन और फ्राइड राइस "
सरला का ये बोलना था की अनुज तो बहुत खुश हो गया
वो हँसकर बोला
" अरे फिर तो जल्दी लाओ बहुत भूख लगी है "
अनुज का बच्चो सा उतावलापन देख सरला भी मुस्कुरा भर दी
खाना टेबल पे लगा के वो अपने कमरे में जाने लगी तो अनुज बोला
"तुम भी यहीं खा लो "
"जी मैंने खा लिया आप खा लीजिये "- सरला कहकर अपने कमरे में चली गयी
"अजीब लड़की है
इसे कभी खाना खाते ही नहीं देखा
पता नहीं कब खाती है ,क्या खाती है "
अनुज मन ही मन बुदबुदाया
फिर उसने टीवी पे मनपसंद मूवी लगाईं
जेब से व्हीस्की क्वार्टर निकाला ,
ठन्डे पानी में मिलाया और फिर इत्मीनान से
आनंद से
मूवी, मंचूरियन , फ्राइड राइस ,व्हीस्की
वो देर तक पीता रहा था
अचानक सरला शायद पानी लेने बाहर आयी थी
या फिर टीवी की तेज़ आवाज़ सुनकर
"आज आप फिर पी रहे हैं ? "
"आपको ये शोभा नहीं देता अनुज "
"ये शराब आपकी सेहत, कर्रिएर , परिवार सब ख़त्म कर देगी
आपके बिना माँ का क्या होगा ? "
सरला बड़े ही दुखी स्वर में लगातार बोले जा रही थी
और अब इतना चिल्लाकर सरला वहीं बैठकर रोने भी लगी थी
अनुज हैरान सा सरला को देख रहा था
इतना तो कभी नहीं बोलती थी सरला
तो आज क्या हुआ
और इसमें रोने वाली कौनसी बात है
अनुज रोती हुयी सरला के पास आ बैठा
और उसकी पीठ सहलाने लगा
उसके बाल ठीक करने लगा
सरला फिर से बोले जा रही थी
"एक बार उजड़ चुकी हूँ
इस शराब का भयानक सच देखा है मैंने
फिर नहीं देख पाउंगी
मैं चली जाउंगी
वापिस
वहीं आश्रम में "
अनुज उसे सांत्वना देने के लिए बोलने लगा
"तुम ठीक कहती हो
आज के बाद नहीं पियूँगा
बस तुम अब चुप हो जाओ "
अनुज ने प्यार से सरला के बालों को चूमा
फिर माथे को
और फिर जैसे भावनाओ का एक तूफ़ान सा बह निकला
अनुज बेतहाशा चूमे जा रहा था सरला को
जैसे ही सरला को होश आया
सरला ने मनुहार करना शुरू किया
"ये आप क्या कर रहे है अनुज
ये ठीक नहीं है
ये गलत है
प्लीज ये ना करें
नहीं अनुज "
पर अनुज ने महसूस कर लिया था की सरला की बातों में
विरोध कम था झिझक ज्यादा थी
उसका शरीर कुछ और चाह रहा है
मन कुछ और
और सोच-समझ सरला से कुछ और बुलवा रही है
तो अनुज बिना रुके सरला को लगातार चूमता रहा
सहलाता रहा
इधर सरला का विरोध भी धीमा और धीमा होता गया था
अब सरला ने जैसे समर्पण कर दिया था
बरसों की प्यासी नदी थी
और समंदर खुद मिलने आया था
तो वो भी बह गयी
निर्बाध .....
राइटर-मनोज गुप्ता , manojgupta0707.blogspot.com
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