नीना को वो घर बहुत पसंद आया था
कॉलेज से थोड़ा दूर तो था
पर नीना ने सोचा वो दिल्ली से अपनी कार मँगा लेगी
तो ये समस्या भी सॉल्व
वो सुशिल और नाज़ से भी मिली
दो ही अच्छे लगे थे उसे
खासकर नाज़ तो बहुत ही खूबसूरत पर
शांत और ग्राउंडेड लड़की लगी थी
हां सुशील उसे कुछ शरारती लगा था
पर नीना खुद ऐसी ही थी तो क्या दिक्कत थी
अगले हफ्ते ही वो शिफ्ट हो गयी थी
पापा ने दिल्ली से उसकी गाड़ी भी भेज दी थी
हालांकि छोटी बहन लीना ने पूरी कोशिश की थी की
गाड़ी दिल्ली से ना जाए पर
नीना कहाँ मानने वाली थी
अब तो नीना की गाड़ी आने से
चारों को ही आराम हो गया था
वो चारों अब लगभग हर रोज़ एक साथ ही कॉलेज आते-जाते थे
साथ आने-जाने, साथ रहने से
अब वो चारों एक फॅमिली से हो गए थे
नीना ने गौर किया की
ये गौरव कभी नाज़ से ठीक से बात नहीं कर पाता
हमेशा सामने से बात करने से बचता है
और जब भी चेक करो
चोरी से नाज़ को निहारता भी रहता है
नीना को लगा कुछ गड़बड़ तो है यार
एक दिन जब उसने फिर से गौरव को
नाज़ को निहारते हुए पकड़ा
तो बस एनकाउंटर कर ही दिया
"ए गौरव क्या चक्कर है ये तेरा और नाज़ का "
गौरव इतने सीधे स्पष्ट सवाल से घबरा सा गया
वो कुछ झूठ बोलता के इससे पहले ही
नीना बरस पडी-
"उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेती हूँ
अब झूठ तो तू बोलियों मत "
गौरव बेचारा मरता क्या ना करता
कुछ सेकंड तो उसने सोचा
तो पाया
नीना से बचना तो वैसे भी मुश्किल है
और फिर उसे खुद भी कोई तो चाहिए
उसकी नैय्या को पार लगाने के लिए
तो गौरव ने दिल खोल ही दिया-
" नीना यार, प्यार करता हूँ उससे "
"तो साले बोलता क्यों नहीं फिर उससे "- नीना उत्साहित हो गयी थी
"यार क्या बताऊ
जैसे ही उसे देखता हूँ
मेरी तो बत्ती ही गुल हो जाती है "
- गौरव छोटे बच्चो की तरह बोल रहा था
"अबे गौरव के बच्चे
वो तो इतनी शांत है
इतनी सोबर
कोई खा थोड़े जाएगी तुझे ? "- नीना चीखी थी
"पर नीना "- गौरव
"पर नीना क्या बे "
"उसके बच्चो का मामा बनना है क्या तूने ? "
नीना जोर से हँसी थी
"बच्चू वैसे ही कम लड़कियाँ है कॉलेज में "
"रोज़ ही कोई ना कोई प्रोपोज़ करता है उसे
उसने एक बार किसी को हाँ कर दिया ना तो
फिर देख लियो "
गौरव मायूस सा होकर बोला था
"पर नीना वो नाज़ कितनी सुन्दर है यार
और मैं
मैं उसके सामने देख कैसा दिखता हूँ ? "
नीना को गौरव का ये पॉइंट वैलिड लगा था
नाज़ बेहद खूबसूरत लड़की थी
और गौरव .....
पर वो फिर भी बोली
"देख गौरव ये तो बात ठीक है
पर ये भी सोच के शायद
वो ऐसा ना सोचती हो तो
ट्राई करना तो बनता है ना
और ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
नाज़ ना कर देगी ना
पर सोच अगर हाँ कर दिया तो "
नीना आँखें मटकाते हुए शरारत से बोली
नीना की ये बात सुनकर गौरव तो सातवे आसमान पर पहुंच गया था
उसने सोचा की आज तो अपनी किस्मत आजमा ही ले
प्लान ये बना की सुशिल को भी साथ मिलाया जाएगा
और कल क्लासेज ख़त्म होने के बाद
कॉलेज कैंटीन में ही
गौरव ,नाज़ को प्रोपोज़ करेगा।
कॉलेज से थोड़ा दूर तो था
पर नीना ने सोचा वो दिल्ली से अपनी कार मँगा लेगी
तो ये समस्या भी सॉल्व
वो सुशिल और नाज़ से भी मिली
दो ही अच्छे लगे थे उसे
खासकर नाज़ तो बहुत ही खूबसूरत पर
शांत और ग्राउंडेड लड़की लगी थी
हां सुशील उसे कुछ शरारती लगा था
पर नीना खुद ऐसी ही थी तो क्या दिक्कत थी
अगले हफ्ते ही वो शिफ्ट हो गयी थी
पापा ने दिल्ली से उसकी गाड़ी भी भेज दी थी
हालांकि छोटी बहन लीना ने पूरी कोशिश की थी की
गाड़ी दिल्ली से ना जाए पर
नीना कहाँ मानने वाली थी
अब तो नीना की गाड़ी आने से
चारों को ही आराम हो गया था
वो चारों अब लगभग हर रोज़ एक साथ ही कॉलेज आते-जाते थे
साथ आने-जाने, साथ रहने से
अब वो चारों एक फॅमिली से हो गए थे
नीना ने गौर किया की
ये गौरव कभी नाज़ से ठीक से बात नहीं कर पाता
हमेशा सामने से बात करने से बचता है
और जब भी चेक करो
चोरी से नाज़ को निहारता भी रहता है
नीना को लगा कुछ गड़बड़ तो है यार
एक दिन जब उसने फिर से गौरव को
नाज़ को निहारते हुए पकड़ा
तो बस एनकाउंटर कर ही दिया
"ए गौरव क्या चक्कर है ये तेरा और नाज़ का "
गौरव इतने सीधे स्पष्ट सवाल से घबरा सा गया
वो कुछ झूठ बोलता के इससे पहले ही
नीना बरस पडी-
"उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेती हूँ
अब झूठ तो तू बोलियों मत "
गौरव बेचारा मरता क्या ना करता
कुछ सेकंड तो उसने सोचा
तो पाया
नीना से बचना तो वैसे भी मुश्किल है
और फिर उसे खुद भी कोई तो चाहिए
उसकी नैय्या को पार लगाने के लिए
तो गौरव ने दिल खोल ही दिया-
" नीना यार, प्यार करता हूँ उससे "
"तो साले बोलता क्यों नहीं फिर उससे "- नीना उत्साहित हो गयी थी
"यार क्या बताऊ
जैसे ही उसे देखता हूँ
मेरी तो बत्ती ही गुल हो जाती है "
- गौरव छोटे बच्चो की तरह बोल रहा था
"अबे गौरव के बच्चे
वो तो इतनी शांत है
इतनी सोबर
कोई खा थोड़े जाएगी तुझे ? "- नीना चीखी थी
"पर नीना "- गौरव
"पर नीना क्या बे "
"उसके बच्चो का मामा बनना है क्या तूने ? "
नीना जोर से हँसी थी
"बच्चू वैसे ही कम लड़कियाँ है कॉलेज में "
"रोज़ ही कोई ना कोई प्रोपोज़ करता है उसे
उसने एक बार किसी को हाँ कर दिया ना तो
फिर देख लियो "
गौरव मायूस सा होकर बोला था
"पर नीना वो नाज़ कितनी सुन्दर है यार
और मैं
मैं उसके सामने देख कैसा दिखता हूँ ? "
नीना को गौरव का ये पॉइंट वैलिड लगा था
नाज़ बेहद खूबसूरत लड़की थी
और गौरव .....
पर वो फिर भी बोली
"देख गौरव ये तो बात ठीक है
पर ये भी सोच के शायद
वो ऐसा ना सोचती हो तो
ट्राई करना तो बनता है ना
और ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
नाज़ ना कर देगी ना
पर सोच अगर हाँ कर दिया तो "
नीना आँखें मटकाते हुए शरारत से बोली
नीना की ये बात सुनकर गौरव तो सातवे आसमान पर पहुंच गया था
उसने सोचा की आज तो अपनी किस्मत आजमा ही ले
प्लान ये बना की सुशिल को भी साथ मिलाया जाएगा
और कल क्लासेज ख़त्म होने के बाद
कॉलेज कैंटीन में ही
गौरव ,नाज़ को प्रोपोज़ करेगा।
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