Sunday, June 28, 2020

स्वप्निल-पंख


कपडे पुराने हैं तो क्या
दिल में नए अरमान हैं
रास्ते पथरीले ,पैर नंगे
मेरे हौसलों चट्टान हैं

कदम दर कदम आगे बढूँगी मैं
बढ़ना पडेगा कायनात को साथ
ये बेदर्द जालिम जख्म मिले जो
मेरे स्वप्निल-पंख समान हैं

एक बार जो परवाज़ भरी अब मैंने
छू लूँगी यूहीं आसमान को तेरे
मेरा इरादा उससे भी कहीं आगे
मेरा बुलंद स्वाभिमान है

कपडे पुराने हैं तो क्या
दिल में नए अरमान हैं
रास्ते पथरीले ,पैर नंगे
मेरे हौसलों की उड़ान है।

#बचपन #bachpan , manojgupta0707.blogspot.com
Writer- Manoj Gupta









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