रेखा ,दा मिरांडा क़्वीन
अब ये तो पता नहीं की उसका असली नाम रेखा था या कुछ और
पर इतना जरूर है की पूरा मिरांडा कॉलेज उसे रेखा ही बुलाता था
क्युकी फिल्म स्टार रेखा उन दिनों खूबसूरती का दूसरा नाम थी, (यूँ तो आज भी हैं :) )
और इधर अपनी रेखा के भी कॉलेज में खूबसूरती और जहानत के जबरदस्त चर्चे थे
जहाँ एक ओर रेखा गज़ब की खूबसूरत थी
वही दूसरी ओर पढ़ाई , स्टेज, ड्रामा, म्यूजिक सबमे अव्वल
उसका नाम किसी स्पर्धा में होने पर नहीं बल्कि ना होने पे सबको आश्चर्य होता था
हर तरह के म्यूजिक फेस्टिवल्स,कॉम्पिटिशंस, इंटरकॉलेज डिबेट्स ,
मतलब की हर वो एक्टिविटी जो 1975 के मिरांडा कॉलेज और दिल्ली युनिवेर्सिटी में होती थी
उसमे रेखा का होना जैसे लाज़मी था
और जीतना भी
इधर "नेशनल म्यूजिक फेस्टिवल" आनेवाला था
इस बार "मिरांडा हाउस" कॉलेज ने दिल्ली युनिवेर्सिटी को रिप्रेजेंट करना था
तो कॉलेज म्यूजिक टीचर मिसेज शेरोन ने रेखा और उसके पूरे ग्रुप को हिदायत दी थी की
इस बार ये कॉम्पिटिशन उन्हें ही दिल्ली के लिए यानि उनकी मिरांडा कॉलेज टीम को ही जीतना है
रेखा और उसके ग्रुप की लडकियां जी-जान से इस कॉम्पिटिशन की तैयारियों में लग गए
दिन-रात म्यूजिक रेहर्सल्स चल रही थी
गाने बनाये जा रहे थे
फुल ऑन तैयारियां थी
तभी एक दिन एक टीम मेंबर रागिनी ने रेखा को खबर दी की
इस बार हरियाणा की टीम बहुत जबरदस्त है
रेखा पहले तो हँसी
"हरियाणा की टीम और म्यूजिक"
"अच्छा मज़ाक है "
पर जब रेखा ने उस टीम के कुछ म्यूजिक पीस सुने तो वो चौंकी
"यार ये इतना अच्छा म्यूजिक हरियाणा टीम का , कैसे ? "
"यार एक लड़का है करन ,
लंदन से म्यूजिक पढ़ के आया है
उसी ने ये म्यूजिक बैंड बनाया है
मतलब कमाल ही कर दिया है "- रागिनी उत्साह से बोली थी
"ए रागिनी तू हमारी टीम में है या उस गंवार करन की टीम में "
"कुछ भी बोलती है "- रेखा ने चिढ़ के जवाब दिया था
और फिर "नेशनल म्यूजिक फेस्टिवल" का दिन भी आ गया
दिल्ली का परफॉरमेंस लाजवाब था
देर तक तालियां और वन्स मोर ,वन्स मोर का शोर हो रहा था
अचानक एक अनजान हैंडसम लड़का स्टेज पर चढ़ा
और रेखा से हाथ मिलाते हुए बोला
"यू आर दा मोस्ट ब्यूटीफुल थिंग ऑन दिस स्टेज "
रेखा मंत्रमुग्ध सी उसे देखती हुयी स्टेज से नीचे उतर गयी
अब हरियाणा का परफॉरमेंस था
और तब रेखा को पता चला की ये तो वही था
लंदन रिटर्न हरियाणा बॉय "करन "
अगले दिन कॉलेज में चर्चा ये नहीं था की कॉम्पिटिशन किस टीम ने जीता
बल्कि इस बात का चर्चा था की
फेस्टिवल ख़त्म होने के बाद सबने रेखा और करन को हाथों में हाथ डाले
फेस्टिवल ऑडोटोरियम से बाहर निकलते देखा था
मिरांडा हाउस हार्ट थ्रोब रेखा और लंदन रिटर्न हरियाणा बॉय करन
एक नयी प्रेम कहानी की शुरुआत हो गयी थी
रेखा और करन अब रोज़ मिलने लगे थे
कभी कॉलेज कैंपस में
कभी बोट क्लब
कभी बुद्धा गार्डन
कभी किसी मूवी हॉल में
उनका प्यार , उनका साथ बढ़ता जा रहा था
कॉलेज का फाइनल ईयर चल रहा था
अब बस कुछ ही दिन का कॉलेज बाकी था
रेखा और करन बुद्धा गार्डन में बैठे थे
दोनों चुप थे
कुछ उदास से भी थे
अचानक करन बोल पड़ा
"तुम मेरे छोटे शहर में एडजस्ट कर पाओगी ? "
रेखा ने हैरानी से उसकी तरफ देखा था
और हंसकर बोली थी
"हाँ , पर क्या तुम मेरे बड़े से नखरे उठा पाओगे ? "
फिर दोनों खिलखिला के हॅंस दिए थे
और फिर शुरू हुआ वही सोशल ड्रामा
जो हर प्रेम कहानी में होता है
घरवालों का इंकार
परिवारों में तकरार
रोना-धोना
भूख हड़ताल
घर से निकाल देने की धमकी
भाग कर शादी ना कर लें का डर
इत्यादि इत्यादी
पर सब व्यर्थ
ना उन्हें मानना था ना वो दोनों माने
और फिर सब कुछ सुन्दर,सुखद शांत हो गया
सारे तूफ़ान जैसे थम से गए थे
और वो ही हुआ जैसा रेखा और करन चाहते थे
और फिर जून 1977 की एक शाम
रेखा और करन अपने हनीमून के लिए
श्रीनगर डल लेख पर एक शिकारे "कश्मीर की कली " में बैठे थे
करन ने बनारसी साड़ी में सजी,
अपनी दुल्हन बनी रेखा की फोटो खींचते हुए फिर से कहा था
"रेखा देअर इज सो मच ब्यूटी हेयर
बट यू आर दा मोस्ट ब्यूटीफुल थिंग हेयर ,इन दिस मोमेंट "
और रेखा और करन एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्कुरा दिए थे।
writer-manoj gupta , manojgupta0707.blogspot.com
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