Thursday, June 11, 2020

वो चुड़ैल,-18

अब युहीं तो नहीं लिखा ग़ालिब ने

"ये इश्क़ नहीं आसान
इतना समझ लीजे
एक आग का दरिया है
डूब के जाना है "

सो गौरव, नाज़, सुरेंदर, शिल्पी और नीना
सब इस आग के दरिया में जल रहे थे
परेशान थे
बाकी चारों का कारण तो इश्क़ था
पर नीना का कारण था दोस्ती
और अपने दोस्तों
गौरव और नाज़ के लिए उसकी केयर,
उसकी फ़िक्र

पर कहते है ना की
"टाइम इज़ ए बेस्ट हीलर "
तो कुछ दिन में ये सब उलझने भी खुदबखुद सुलझ गयीं
तस्वीर साफ़ हो गयी थी
सुरेंदर और शिल्पी की गलतफहमी दूर हो गयी थी
और सुरेंदर ने जाने कैसे
पर नाज़ को भी कन्विंस कर लिया था
अब अब सुरेंदर और नाज़ फिर से साथ थे
और ये होने से गौरव की रही-सही उम्मीद भी ख़त्म हो गयी
तो वो भी दिल पे पथ्थर रखकर
बस पढ़ाई में डूब गया

इस पूरे वाकये के बाद नीना को जीवन में पहली बार ये एहसास हुया की
हम सब आखिरकार बस लुक्स पे ही तो मरते हैं
नाज़ ने गौरव को अच्छी तरह से जानते के बाद भी के
गौरव कितना हम्बल ,कितना सेंसिबल,
कितना सबका ख़याल करने वाला था गौरव 
और कितना काइंड हार्टेड है
पर नाज़ ने गौरव को के ऊपर प्लेबॉय सुरेंदर को चुना था
क्यों ?
क्योंकि वो हैंडसम ज्यादा है
क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड बन जाने में
नाज़ को पूरे कॉलेज में ज्यादा अटेंशन मिलती
बस अच्छे लुक्स और दुनिया की अटेन्शन
इसके अलावा क्या और कुछ मैटर ही नहीं करता क्या ?

पर नीना खुद भी कहाँ इस लुक्स फोबिआ से अछूती थी
बरसों पहले उसने भी तो बिलकुल यही किया था
जो आज नाज़ ने किया है
जब उसके पड़ोस में रहने वाले चेन्नई बॉय "मुरुगन" ने
नीना को फ्रेंडशिप के लिए प्रपोस किया था
कितना हँसी थी नीना उसके प्रपोजल पे
उसके नाम का भी बहुत मज़ाक बनाया था उसने
"मुरगन :) "
और उसके लुक्स की तो जो कॉमेडी फिल्म बनाई उसने
बाकी पड़ोस के फ्रेंड्स के साथ मिलके
जबकि मुरुगन का कॉम्प्लेक्शन ही बस डार्क था
वो स्मार्ट था और पढ़ाई में हमेशा स्कॉलर
मुरगन ने तभी दिल्ली आईआईटी में बी.टेक. क्रैक किया था
बहुत बड़ी बात थी ये
और नीना ने टेंथ बोर्ड में बस पासिंग मार्क्स लिए थे
पर अपनी खूबसूरती के दम्भ में
उसने बिना एक पल सोचे मुरुगन को रिजेक्ट कर दिया था
मुरुगन कितना निराश हुआ था अपने रिजेक्शन पे
पर अपनी सब पड़ोस के दोस्तों के सामने हुयी इंसल्ट के बाद भी वो
डबडबायी आँखों से बस मुस्कुराता रहा था

आज भी मुरुगन नीना के हर बर्थडे पर कार्ड जरूर भेजता था
और साथ में एक नोट भी
" के वो अब कहाँ है
क्या कर रहा है "
नीना से रहा नहीं गया
उसने अपना मैजिक बॉक्स निकाला
जिसमे नीना अपने सारे लेटर्स,कार्ड्स ,गिफ्ट्स संभाल के रखती थी
उसे मुरुगन का भेजा आख़िरी ग्रीटिंग कार्ड मिल ही गया
इतने बरसों में पहली बार नीना ने मुरुगन का कार्ड ठीक से पढ़ा था
वर्ना तो वो बस ऐसे ही बॉक्स में डाल देती थी
"डिअर नीना ,
हैप्पी बर्थडे
लास्ट मंथ ही ट्रेनिंग पे जर्मनी आया हूँ
बहुत ठण्ड है यहाँ
और अभी तो जनवरी तक यहीं रहना है
फिर मेरी पहली जॉब के लिए बंगलौर में ही पोस्टिंग है
पता चला था की तुम भी बंगलौर में ही पढ़ रही हो
मेरा पेजर नंबर 9999996029 है
अगर कभी बात करना चाहो तो .......
-मुरुगन "

अब तो फरवरी चल रहा था
मतलब मुरुगन अब यहीं बंगलौर में ही होगा
वो कार्ड पढ़कर
नीना उस सारी रात सो नहीं पायी थी
हज़ारों ख़याल मन में थे
"क्या मुरुगन आज भी मुझ से....
"क्या मुझे फोन करना चाहिए ...
"कहीं मुरगन ये ना सोचे की ...

हज़ारों क्यों,कहीं ,कैसे चल रहे थे नीना के मन में

आखिरकार जब नीना से रहा ना गया तो
नीना ने फोन उठाया
पेजर कंपनी में मैसेज छोड़ा
"मुरुगन
मेरा बंगलौर पीजी का लैंडलाइन नम्बर है 7777777
कभी चाहो तो फोन करना
-नीना "

अब जाने क्या नया होने वाला था
इश्क़ में पूर्वाभास करना तो नामुमकिन है ना :)

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