Monday, June 8, 2020

हैसियत, 6

"बीनू, 
बीनू 
देखो वो सामने जो हैंडसम नौजवान सोफे पे बैठा है 
जाना पहचाना सा लग रहा है 
कौन है ??
याद नहीं आ रहा "
स्वीटी फुसफुसा के अपनी बहन बीनू से बोली थी 

बीनू के पलट कर उस तरफ देखा तो हैरान रह गयी
वो तो अनिल था
बिलकुल बदला हुआ सा
कितना गोरा लग रहा था वो
कितना हैंडसम
बेहतरीन बिज़नेस सूट ,
बढ़िया सनग्लासेस
और कीमती जूतों में
वो खुद अनिल को मुश्किल से पहचान पायी थी

वैसे पिछले चार सालों में उसका अनिल से कोई कांटेक्ट ही कहाँ था

बीनू ने मन ही मन में सोचा
"अनिल यहाँ चाइना में "
"क्यों ?
"कैसे ? "

" अनिल "बीनू ने भी फुसफुसा कर स्वीटी को जवाब दिया

"अनिल "
"ये अनिल है"
स्वीटी शॉकड हो गयी थी
उसके मन में अनिल की जो फोटो आयी थी
सफ़ेद शर्ट,खाखी पैंट
गंवारों वाले बाल,
काला ,
अजीब सा
उस फोटो और इस हैंडसम आदमी में तो जमीन-आसमान का अंतर है
स्वीटी तारीफ़ भरी नज़रों से अनिल को देख रही थी
 उधर अनिल ,स्वीटी और बीनू से बेखबर उस फाइव स्टार होटल की लॉबी में बैठा
कॉफ़ी पी रहा था

"चल मिलते हैं अनिल से "
स्वीटी फिर फुसफुसाई
"स्वीटी पागल है क्या "
 बीनू ने विरोध किया
बीनू बचना चाहती थी अनिल से मिलने से
बीनू और अनिल के बीच जो हुआ था वो आज भी शर्मिन्दा थी
और  फिर कभी  बीनू से ठीक से बात की थी
तो इतने सालों से उसका अनिल से कोई कांटेक्ट भी नहीं था

उधर स्वीटी इन सब  बातों से बेफिक्र बीनू को ब्याह से खींचते हुए
ठीक अनिल के सामने ले गयी
"हाय "
चहक कर बोली थी स्वीटी
अनिल ने सर उठा कर देखा तो हैरान रह गया
वो भी मुस्कुराता हुआ खड़ा हुआ और धीरे से बोला
"हैलो "
"लॉन्ग टाइम "

"यस वैरी लॉन्ग टाइम
तुम कैसे हो ?
और यहाँ चाइना में क्या कर रहे हो ?"
स्वीटी ने इतने मासूम अंदाज़ में एक साथ कई सवाल पूछ लिए थे
उसने ये सब ऐसे हलके अंदाज़ से कहा था जैसे
जैसे कभी कोई बात हुयी ही ना हो

"मैं चीन एक्सपो एक्सिबिशन अटेंड करने आया हूँ "
"और आप लोग यहाँ ??
मुस्कुराते हुए अनिल सहजता से पूछा

"सतीश भी इसी एक्सिबिशन को अटेंड करने आया है "
तो हम दोनों भी साथ घूमने आ गए "-
स्वीटी ने अपनी वही बरसों पुरानी जादुई मुस्कान बिखेरी थी
जिसको देखने भर से अनिल अपने सारे दुःख तकलीफे भूल जाता था
अनिल लगातार स्वीटी को देखे जा रहा था
वो साफ़ महसूस कर रहा था के
आज स्वीटी की आँखों में भी उसके लिए तारीफ़ है
स्वीटी भी एकटक अनिल को ही देखे जा रही है
वो दोनों एक दूसरे को देखने में इतने मशगूल थे के जैसे
बीनू वहां हो ही नहीं
बीनू सब देख रही थी
समझ रही थी
आखिर उसने ही चुप्पी तोड़ी
"हैलो अनिल "
अनिल चौक कर जैसे होश में आया
"हेलो बीनू "
"रेअली सॉरी ,
मैंने तुम्हे देखा ही नहीं "

बीनू ने गहरी नज़रों से अनिल की  झांका
जैसे कह रही हो
"हाँ अब तुम मुझे क्यों देखोगे "

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