उधर पटना में
नीना के लिए कुछ ख़ास अच्छा नहीं चल रहा था
नया शहर था
उसके पुराने शहर दिल्ली से
कई मामलों में बहुत छोटा लगा था नीना को
नीना के लिए कुछ ख़ास अच्छा नहीं चल रहा था
नया शहर था
उसके पुराने शहर दिल्ली से
कई मामलों में बहुत छोटा लगा था नीना को
कॉलेज का गर्ल हॉस्टल फुल था
तो वहां उसे कमरा नहीं मिल पाया था
और पापा जिस घर में उसके रहने का इंतज़ाम करके गए थे
वहाँ मकान मालकिन बहुत चिढ़-चिढ़ करती थीं
अब रोज़-रोज़ सुबह ही उसका मूड खराब होता था
तो वो मकान बदलना चाहती थी
बड़ी स्वाभिमानी तो वो थी ही
तो हर रोज़ छोटी-छोटी बातों के लिए पापा को फोन करना
उसके नेचर में ही नहीं था
कॉलेज में इंट्रो सेशन और फ़्रेशियर पार्टी हो गयी थी
कुछ क्लासेज भी शुरू हो गयी थी
बिज़नेस कॉलेज था
तो डिसीप्लिन बहुत था
और लड़कियों की तादात बहुत कम
नीना को इस बात की समस्या नहीं थी
पर हर समय लड़कों का उसे और दुसरी लड़कियों को
एक पोटेंशियल टारगेट की तरह देखते रहना
उसे गुस्से में ला देता था
पर अब वो किस-किस से लड़ती
अभी फिलहाल तो
एक अच्छा घर ढूंढ़ना उसकी पहली प्रायोरिटी थी
उस दिन कॉलेज में एक्स्ट्रा क्लासेज थी
उसे लायब्रेरी में कुछ बुक्स भी ढूंढ़नी थी तो
तो नीना को काफी देर हो गयी थी
वो मकान मालकिन को ये बताने को
की उसे आज आने में लेट होगा
वो कॉलेज ऑफिस टेलीफोन से उनसे बात कर रही थी
( मकान मालकिन की ये शर्त थी की
उन्हें हमेशा बताया जाए
अगर नीना 6 बजे से लेट घर आ रही है )
वो फोन पर बोल रही थी
"पर आंटी मैं 8 बजे तक तो आ ही जाउंगी ना "
"8 लेट है ??? "
"आंटी आप क्या हो ? "
"ठीक है आंटी मैं अपना इंतज़ाम कहीं और करती हूँ "
उसने फोन रख दिया था
नीना ने देखा सामने ही एक लड़का खड़ा-खड़ा मुस्कुरा रहा था
"अब तुम क्यों हँस रहे हो भाई " - नीना
"घर का प्रॉब्लम है ? "- उसने पूछा था
"हाँ ,पर तुमसे मतलब ,फुटो यहाँ से "-नीना कुछ उखड़ी हुयी थी
ये सुनते ही तो वो जोर-जोर से हंसने लगा
तो नीना को भी अपने रूड होने का एहसास हुआ था
तो वो धीरे से बोली
"सॉरी, आई वास् अपसेट "
"अपोलजी एक्सेप्टेड "
"हाय , आई ऍम गौरव "- गौरव ने हाथ बढ़ाते हुए कहा था
"नीना "- नीना ने हाथ मिलाते हुए बोला
"आई नो "- गौरव फिर हँसा था
"हाउ डू यू नो "- नीना चौंकी थी
गौरव फिर जोर से हँसा , बोला
"अरे यार चंद तो लड़कियाँ है इस कॉलेज में
तो सबकी खबर रखनी पड़ती है "
ये सुनकर नीना भी हँसी
"रूम ढूँढ रही हो "- गौरव
"हां गौरव एक अच्छा रूम चाहिए "- नीना
"देखो हमने मिलकर एक पूरा घर रेंट किया है
अभी मैं ,सुशील और नाज़ हैं
कॉलेज से थोड़ा सा दूर तो है
पर अच्छी कॉलोनी है
टोटल चार बैडरूम है
एक रूम स्पेयर है
तुम चाहो तो देख सकती हो "
"मकान मालिक दूसरे शहर के हैं तो
कोई बंदिश नहीं "- कहकर वो हँसा
तुम चाहो तो कल कॉलेज के बाद देख लो "
"सीम्स गुड "
"ओके "
"कल चलते है "
"एनीवेस थैंक्स " -
नीना ने गौरव से हाथ मिलाते हुए बोला
नीना ने महसूस किया
कुछ बहुत ख़ास था
गौरव की उन मुस्कुराती आँखों में
तो वो मकान बदलना चाहती थी
बड़ी स्वाभिमानी तो वो थी ही
तो हर रोज़ छोटी-छोटी बातों के लिए पापा को फोन करना
उसके नेचर में ही नहीं था
कॉलेज में इंट्रो सेशन और फ़्रेशियर पार्टी हो गयी थी
कुछ क्लासेज भी शुरू हो गयी थी
बिज़नेस कॉलेज था
तो डिसीप्लिन बहुत था
और लड़कियों की तादात बहुत कम
नीना को इस बात की समस्या नहीं थी
पर हर समय लड़कों का उसे और दुसरी लड़कियों को
एक पोटेंशियल टारगेट की तरह देखते रहना
उसे गुस्से में ला देता था
पर अब वो किस-किस से लड़ती
अभी फिलहाल तो
एक अच्छा घर ढूंढ़ना उसकी पहली प्रायोरिटी थी
उस दिन कॉलेज में एक्स्ट्रा क्लासेज थी
उसे लायब्रेरी में कुछ बुक्स भी ढूंढ़नी थी तो
तो नीना को काफी देर हो गयी थी
वो मकान मालकिन को ये बताने को
की उसे आज आने में लेट होगा
वो कॉलेज ऑफिस टेलीफोन से उनसे बात कर रही थी
( मकान मालकिन की ये शर्त थी की
उन्हें हमेशा बताया जाए
अगर नीना 6 बजे से लेट घर आ रही है )
वो फोन पर बोल रही थी
"पर आंटी मैं 8 बजे तक तो आ ही जाउंगी ना "
"8 लेट है ??? "
"आंटी आप क्या हो ? "
"ठीक है आंटी मैं अपना इंतज़ाम कहीं और करती हूँ "
उसने फोन रख दिया था
नीना ने देखा सामने ही एक लड़का खड़ा-खड़ा मुस्कुरा रहा था
"अब तुम क्यों हँस रहे हो भाई " - नीना
"घर का प्रॉब्लम है ? "- उसने पूछा था
"हाँ ,पर तुमसे मतलब ,फुटो यहाँ से "-नीना कुछ उखड़ी हुयी थी
ये सुनते ही तो वो जोर-जोर से हंसने लगा
तो नीना को भी अपने रूड होने का एहसास हुआ था
तो वो धीरे से बोली
"सॉरी, आई वास् अपसेट "
"अपोलजी एक्सेप्टेड "
"हाय , आई ऍम गौरव "- गौरव ने हाथ बढ़ाते हुए कहा था
"नीना "- नीना ने हाथ मिलाते हुए बोला
"आई नो "- गौरव फिर हँसा था
"हाउ डू यू नो "- नीना चौंकी थी
गौरव फिर जोर से हँसा , बोला
"अरे यार चंद तो लड़कियाँ है इस कॉलेज में
तो सबकी खबर रखनी पड़ती है "
ये सुनकर नीना भी हँसी
"रूम ढूँढ रही हो "- गौरव
"हां गौरव एक अच्छा रूम चाहिए "- नीना
"देखो हमने मिलकर एक पूरा घर रेंट किया है
अभी मैं ,सुशील और नाज़ हैं
कॉलेज से थोड़ा सा दूर तो है
पर अच्छी कॉलोनी है
टोटल चार बैडरूम है
एक रूम स्पेयर है
तुम चाहो तो देख सकती हो "
"मकान मालिक दूसरे शहर के हैं तो
कोई बंदिश नहीं "- कहकर वो हँसा
तुम चाहो तो कल कॉलेज के बाद देख लो "
"सीम्स गुड "
"ओके "
"कल चलते है "
"एनीवेस थैंक्स " -
नीना ने गौरव से हाथ मिलाते हुए बोला
नीना ने महसूस किया
कुछ बहुत ख़ास था
गौरव की उन मुस्कुराती आँखों में
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