पल दो पल का जीवन है
फिर "गंगा" सब को जाना है
पर जाने के पहले सबको
अपना किरदार निभाना है
जीवन क्या है ?,नाटक है
अरे जीवन क्या है ? नाटक है
और मृत्यु अंतिम "फाटक" है
फाटक से आना फाटक को जाना
बीच में सारा पागल खाना
उस फाटक के पार है क्या कुछ
किसने आज तक जाना है
पर जान भी लेते , क्या कर लेते ?
अरे भाई जान भी लेते , क्या कर लेते ?
जान के और भी जल्दी मरते
इस जान-अजान में क्या रख्खा है
जीवन ही काशी,जीवन ही मक्का है
इस जीवन की तख्ती पर कुछ
कुछ ऐसा लिख के जाना है
के लाख मिटायें समय-चक्र पर
जो ना कभी मिट पाना है
पल दो पल का जीवन है ये
फिर "गंगा" सब को जाना है
पर जाने के पहले सबको
अपना किरदार निभाना है।
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Very nice bhai.👍
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